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18 अगस्त को भाई-बहन के प्यार का बंधन राखी, जानें कब है शुभ मुहूर्त
लखनऊ: भाई-बहन के प्यार विश्वास का त्योहार है रक्षा बंधन। वैसे भी संसार में इस बंधन से पवित्र और प्यारा कोई बंधन नही है। तभी तो हर भाई यही गाता है कि एक हजारों में बहना है, सारी उम्र हमें संग रहना है....और बहन के लिए भाई चांद, सूरज से बढ़कर किसी अनमोल रत्न से कम नहीं होता है। बहन को हर साल राखी के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है।
राखी का शुभ मुहूर्त
हर साल की तरह इस साल भी रक्षा बंधन मनाया जाएगा। आपको बता दें 2016 में रक्षा बंधन 18 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार 17 अगस्त को अपराह्न से ही पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। लेकिन शुभ मुहूर्त में 18 अगस्त को रक्षा बंधन मनाया जाएगा। वैसे भी बहन-भाई के अटूट प्यार के लिए राखी को शुभ मुहूर्त में ही बांधना चाहिए। साल 18 अगस्त, को सुबह 5:55 बजे से दोपहर 14:56 तक या 13:42 से 14:56 मिनट तक राखी बांधी जा सकती है।
17 को पूर्णिमा 18 को राखी
पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 17 अगस्त 2016 को हो जाएगा। परंतु भद्रा रहने से राखी 18 को मनेगी। शास्त्रों के अनुसार में भद्रा के पुच्छ काल में कार्य करने से कार्यसिद्धि और विजय प्राप्त होती है। परन्तु भद्रा के पुच्छ काल समय का प्रयोग शुभ कार्यों के के लिये विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।
रक्षिका बनी राखी
धर्म शास्त्रों के अनुसार पहले राखी को रक्षिका कहा जाता था और आज राखी के नाम से जाना जाता है। राखी या राखी में लगे धागे का मतलब रक्षा के लिए तत्पर रहना या रक्षा करने का वचन देना है। जो भाई अपनी बहन को देता है।
साउथ इंडिया में श्रावण के पूर्णिमा के दिन न केवल हिंदू बल्कि हर धर्म के मुसलमान, सिक्ख और ईसाई लोग समुद्र तट पर नारियल और फूल को चढ़ाना शुभ मानते हैं। नारियल को भगवान शिव का रुप माना गया है, नारियल में तीन आंखे होती है और भगवान शिव की भी तीन आंखे है।
राखी का भावनात्मक बंधन
वैसे भी हिंदू धर्मावलंबी अपने हर धार्मिक अनुष्ठान में धागा बांधते हैं। राखी का धागा भावनात्मक एकता का प्रतीक है। स्नेह और विश्वास की डोर है। प्राचीन समय से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद को धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। मामूली सा दिखने वाला भाई की कलाई में बहन के द्वारा बांधा धागा भाई को शक्ति देता है कि वो प्यारी बहन की रक्षा करने में समर्थ हो सके।