TRENDING TAGS :
यहां लोग मंदिर-पूजा से रहते हैं दूर, पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम नाम
लखनऊ: जमगाहन गांव के रामनामी समाज के बारे में कुछ लोग जानते होंगे। खासकर छत्तीसगढ़ के लोग इस समाज और उसकी परंपराओं से अच्छी तरह वाकिफ है। इस समाज की परंपरा अनोखी और 100 सालों से भी ज्यादा पुरानी है। रामनामी समाज की खास बात ये है कि इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाते हैं, लेकिन ना तो ये कभी मूर्ति पूजा करते हैं और ना ही मंदिर जाते हैं। टैटू को साधारण भाषा में गोदना कहा जाता है। दरअसल, ये समाज इसे भगवान की भक्ति के साथ ही सामाजिक बगावत के तौर पर भी देखता है।
क्यों गुदवाते है गोदना
100 साल पहले हिंदू धर्म के मठाधीशों ने इस समाज के लोगों को मंदिर में जाने से रोक दिया। तब अपने अपमान के विरोध में इन्होंने चेहरे सहित पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गोदवा लिया। इस समाज के लोगों का कहना है कि रमरमिहा को ही रामनामी समाज कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के सबसे गरीब और पिछड़े इलाके में रहने वाले महेतर राम टंडन पिछले 50 साल से इस परंपरा को निभा रहे हैं। 76 साल के रामनामी टंडन का कहना हैं कि जिस दिन मैंने ये राम नाम का गोदना बनवाया, उस दिन मेरा नया जन्म हुआ । 50 साल बाद उनके शरीर पर बने गोदना अब कुछ धुंधले से हो चुके हैं, लेकिन उनके विश्वास में कहीं कोई कमी नहीं आई है।
गोदना की परम्परा का पालन अनिवार्य
इस समाज के लोगों के लिए शरीर के कुछ हिस्सों में टैटू बनवाना जरूरी है। खासकर 2 साल का होने से पहले छाती पर राम गोदवाना जरूरी होता है। टैटू बनवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही होती है। साथ ही, रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी होता हैं। ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है। इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं।
समाज की दिलचस्प बातें
नखशिख राम-राम लिखवाने वाले सारसकेला के 70 वर्षीय रामभगत ने बताया कि रामनामियों की पहचान राम-राम का गोदना गुदवाने के तरीके के मुताबिक ही की जाती है। शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले रामनामी अलग-अलग नाम से पुकारे जाते है। माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि, पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है।