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हाथ की कौन सी रेखा क्या कहती है जानिए उनसे अपना भविष्य

suman
Published on: 3 Dec 2017 3:48 AM GMT
हाथ की कौन सी रेखा क्या कहती है जानिए उनसे अपना भविष्य
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जयपुर:व्यक्ति के भूत भविष्य में क्या अच्छा और क्या खराब होने वाला है।इसका पता उसके हाथ की रेखाओं से चलता है। हाथ की रेखाएं बताती है कि आप कितने सफल और असफल होंगे जीवन में। इन रेखाओं से ही हमारे कर्मों का निरधारण होता है। जानते है हाथ की कौन सी रेखा क्या कहती है।

*मंगल क्षेत्र या हथेली के मध्यभाग से शुरू होने वाली सूर्य रेखा अनेक आपत्ति और बाधाओं के बाद उन्नति की संकेत करती है। इसका सहायक मंगल क्षेत्र होता है। यदि किसी के हाथ का मंगलक्षेत्र उच्च हो तो वह बहुत उन्नति करता है, लेकिन कष्ट भोग लेने के पश्चात ही वह अपनी उन्नति कर पाता है। यदि यह रेखा मस्तिष्क रेखा से आरंभ होती हो और पूरी तरह से स्पष्ट हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन के मध्यकाल यानी 35 वें वर्ष में उन्नति करता है। उसकी यह उन्नति व्यक्तिगत योग्यता और मस्तिष्क शक्ति के अनुसार होती है।

*जिस पुरुष या स्त्री के हाथ में बुध पर्वत विकसित हो और उस पर जाल बिछा हो तो उसके घर पर बार-बार चोरी की घटना होती हैं। ऐसे व्यक्ति इन घटनाओं से लगातार परेशान रहते हैं। इसी तरह जिस व्यक्ति के हाथ में मंगल पर्वत से सूर्य पर्वत और शनि की उंगली से बीचोंबीच कोई रेखा स्पर्श करें तो व्यक्ति सेना या पुलिस विभाग में नौकरी करता है। ऐसे व्यक्ति के अधिकारी बनने के पूरे योग होते हैं।

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* दोनों हथेलियों में हृदय रेखा कमजोर और अस्पष्ट दिखाई दे तो ऐसा व्यक्ति आलसी और कामचोर हो सकता है। यदि मणिबंध पर एक ही रेखा हो और वह भी अधूरी हो तो व्यक्ति का जीवन नीरस होता है और इनके जीवन कोई उत्साह नहीं रहता।*हथेली में दोनों मंगल पर्वत दबे हुए दिखाई दे रहे हों तो ऐसा व्यक्ति कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर पाता। ये लोग किसी भी काम में उत्सुकता नहीं दिखाते। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में भाग्य रेखा के पास धन यानी जोड़ (+) का निशान हो तो उसे जीवन में कष्ट प्राप्त होते हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा बहुत ही छोटी होती है तो वह मृत्यु समान कष्ट पाता है।

*जीवन-रेखा से आरम्भ होने वाली स्पष्ट सूर्य रेखा भविष्य में उन्नति और यश बढ़ाने वाली होती है लेकिन ऐसा व्यक्ति यह उन्नति, निजी परिश्रम और योग्यता से ही होती है। व्यवसायिक हाथ को छोड़कर शेष सभी हाथों में इसके प्रभाव से मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी कला में पूर्ण रूप से उन्नति कर सकता है।

*यह रेखा स्त्री या पुरूष के शीघ्र ग्राही होने का भी अचूक प्रमाण देती है। ऐसे व्यक्ति सुन्दरता के पुजारी होते हैं और अपने जीवन का अधिकांश समय सौन्दर्य उपासना में ही गुजार देते हैं। यही वजह है कि वे उन स्त्री-पुरूषों की अपेक्षा जिनकी सूर्य रेखा स्वयं भाग्यरेखा से आरंभ हो रही हो, जीवन का अधिक उपभोग नहीं कर पाते।

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