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कुछ ऐसी पवनपुत्र हनुमान की मां अंजनी के जन्म की कहानी,जानते हैं आप
जयपुर: धर्म शास्त्रों में देवी-देवताओं के प्रादुर्भाव की कहानी है। जो हमे सत्यता और धार्मिक ज्ञान देती है। इसमे सभी भगवान की महिमा है। चाहे वो त्रिदेव हो या मां भगवती या पवनसुत हनुमान। हनुमान जी को भक्तों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।उनकी पूजा से हर इच्छा पूरी होती है। जब हनुमानजी इतने बलशाली है तो उन्हें जन्म देने वाली माता तो और भी बलशाली होगी। हनुमानजी का जन्म मां अंजनी के गर्भ से हुआ है यह तो सबको पता है। लेकिन मां अंजनी कौन है ये जानते है। नहीं तो आपको बताते है कि मां अंजनी कोई साधारण वानरी या साधारण स्त्री नहीं थी। वो एक अप्सरा थी। जो श्राप के कारण वानर कुल में जन्म ली।
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कथा के अनुसार एक बार जब दुर्वासा ऋषि देवराज इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब एक पुंजिकस्थली नामक अप्सरा बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं। इससे बार-बार सभा में बैठे लोगों का ध्यान भंग हो रहा था, गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने पुंजिकस्थली को वानरी हो जाने का श्राप दे दिया। पुंजिकस्थली ने बहुत क्षमा मांगी, तो ऋर्षि ने उसे इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया।
कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया। विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया। इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं।
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बाद में हनुमान जी ने दोनों के पुत्र के रूप में जन्म लिया। ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार बजरंगबली जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान के सालासर व मेहंदीपुर धाम में इनके विशाल एवं भव्य मन्दिर है।