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क्या करते हैं इस दिन, उत्तर भारत में लोहड़ी का पर्व क्यों है खास?
लखनऊ: सर्दी के मौसम और नए साल के शुरुआत में पर्व लोहड़ी का होता है। देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में लोहड़ी को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का बहुत महत्व है। लोहड़ी एक ऐसे पर्व के रूप में मनाई जाती है जो सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत है। ये वही समय होता है जब रबी की फसलें कटती है। बहुत से लोग लोहड़ी को साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे लंबी के तौर पर मनाते हैं। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है। लोहड़ी को लेकर एक मान्यता है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था। लोहड़ी का पर्व फसलों की बुनाई और कटाई की खुशी में मनाया जाता है तो जानते हैं आखिर क्यों मनाते है लोहड़ी?
लोहड़ी की तिथि और शुभ मुहुर्त-
13 जनवरी की शाम को 6 बजे के बाद लोहड़ीका शुभ मुहूर्त है। शाम को 6 बजे के बादआग जलाकर पूजा की जा सकती हैं। खासतौर पर उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे- दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल और पंजाब में ये पर्व मनाया जाता है।
क्या करते हैं लोहड़ी पर
लोहड़ी के पर्व पर आग जलाकर पूजा की जाती है। ये पर्व सुबह से शुरू होकर शाम तक चलता है। लोग पूजा के दौरान आग में मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ डालते हैं। आग में ये चीजें डालते समय आधार आए दिलाथेर जाए बोला जाता है। इसका मतलब होता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी जाए। ये भी माना जाता है कि किसान खेतों में आग जलाकर अग्नि देव से उत्पादन क्षमता बढ़ाने की कामना करते हैं। इस दिन लोग सरसों का साग, मक्के की रोटी गुड़-गज्जक खाना शुभ मानते हैं। पूजा के बाद लोग भांगड़ा और गिद्दा करते हैं।