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बेहतर जीवनसाथी की कामना के लिए करें यह व्रत, रहेगा आपका अखंड सौभाग्य

suman
Published on: 10 Sep 2018 3:35 AM GMT
बेहतर जीवनसाथी की कामना के लिए करें यह व्रत, रहेगा आपका अखंड सौभाग्य
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जयपुर:सौभाग्य से जुड़ा हरितालिका तीज का व्रत स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं द्वारा किया जाता है। इस पावन व्रत में भगवान शिव, माता गौरी, एवं श्री गणेश जी की विधि-विधान से पूजा साधना-अराधना का बड़ा महत्व है। यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता है। सुहाग के सौभाग्य या फिर एक बेहतर जीवनसाथी की कामना के लिए किए जाने इस व्रत का इंतजार स्त्रियां महीनों पहले से करने लगती हैं।भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज इस बार 12 सितंबर को मनाई जाएगी।

जानिए क्या है हल छठ व्रत, किस दिन और किसके लिए किया जाता है

हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र में दिनभर का निर्जल व्रत रहना चाहिए। मान्यता है कि सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनने का काफी महत्व है।

प्रात: उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एक चौकी पर रंगीन वस्त्रों के आसन बिछाकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करें। साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प लें। संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुम्ब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की जाती है। आरंभ में श्री गणेश का विधिवत पूजन करना चाहिए। गणेश पूजन के पश्चात् शिव-पार्वती का आवाहन, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमनी, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा तथा यथाशक्ति आभूषण आदि से षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।

पूजन की समाप्ति पर पुष्पांजलि चढ़ाकर आरती, प्रदक्षिणा और प्रणाम करें। फिर कथा श्रवण करें। कथा के अंत में बांस की टोकरी या डलिया में मिष्ठान्न, वस्त्र, पकवान, सौभाग्य की सामग्री, दक्षिणा आदि रखकर आचार्य पुरोहित को दान करें। पूरे दिन और रात में जागरण करें और यथाशक्ति ओम नम: शिवाय का जप करें। दूसरे दिन और प्रात: भगवान शिव-पार्वती का व्रत का पारण करना चाहिए।

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