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स्वयं पता लगाएं कि चोरी अथवा खोई वस्तु कहां और कब मिलेगी?
श्री अतुल जोशी
लखनऊ: यदि आपके घर में चोरी हो गई है या कोई वस्तु गुम अथवा खो गई है तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है। आज हम आपको ज्योतिष का वह गूढ़ रहस्य बताने जा रहे हैं, जिसे कोई भी ज्योतिष बहुत कम ही बताता है। आज भी अक्सर देखने को आता है कि बहुत से लोगों के घरों में चोरी हो जाती है अथवा कोई कीमती वस्तु खो गई अथवा गुम हो गई है तो उस वस्तु का पता लगाने के लिए ज्योतिष अथवा तांत्रिकों के पास जाते हैं और अपनी वस्तु के मिलने की बाबत जानकारी हासिल करते हैं।
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यहां इस लेख के माध्यम से हम बताएंगे कि आपकी चोरी, खोई अथवा गुम हुई वस्तु मिलेगी या नहीं। यदि मिलेगी तो कब और किस दिशा में। सहारनपुर के श्री बालाजी धाम के संस्थापक गुरू श्री अतुल जोशी जी महाराज बताते हैं कि चोरी हुई या खोई हुई वस्तु मिलेगी या नहीं, यह सभी वस्तु की चोरी अथवा खोने के समय जो नक्षत्र और योग रहा होगा, उस पर निर्भर करता है। श्री अतुल जोशी जी बताते हैं कि ज्योतिष में नक्षत्रों को चार हिस्सों में विभाजित किया गया है। भाग के नक्षत्र का अलग महत्व है।
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पहले जान लें नक्षत्र के प्रकार उनका विभाजन
अंधलोचन- रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा, धनिष्ठा नक्षत्र।
मंदलोचन- अश्वनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतमिषा नक्षत्र।
मध्यलोचन- भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्व भाद्रपद नक्षत्र।
सुलोचन।- कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वा फाल्गुनी, स्वाती, मूल, श्रवण, उत्तरा भाद्रपद।
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अब जाने कब और किस दिशा में मिलेगी वस्तु
*अंधलोचन नक्षत्र में खोई अथवा चोरी हुई वस्तु प्रयास करने पर पूर्व दिशा में मिलती है।
*मंदलोचन नक्षत्र में गुम, चोरी अथवा खोई वस्तु दक्षिण दिशा में तीन से चार दिन में मिलती है।
*मध्यलोचन नक्षत्र में खोई, चोरी हुई वस्तु एक ढाई माह के दौरान पश्चिम दिशा में मिलती है।
*सुलोचन नक्षत्र में खोई वस्तु, चोरी हुआ सामान उत्तर दिशा में जाता है, लेकिन मिलने की संभावना नहीं होती।