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इस शक्तिपीठ में मां के इस रूप का है निवास , दर्शनमात्र से होता है सबका कल्याण

suman
Published on: 21 Sep 2017 12:32 AM GMT
इस शक्तिपीठ में मां के इस रूप का है निवास , दर्शनमात्र  से होता है सबका कल्याण
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जयपुर:शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि है। नवरात्रि में शक्तिपीठों की पूजा और दर्शन का महत्व है। यह कालिका का मंदिर काली घाट के नाम से भी पहचाना जाता है और पुरे भारत में आस्था का अनुठा केंद्र है। माना जाता है की इस जगह सती माँ के दांये पाँव के चार अंगुलियां यही गिरी थी इसी कारण इसे शक्ति के 51 शक्तिपीठो में माना जाता । यहा माँ काली की प्रचंद मूरत के दर्शन होते है जो विशालकाय है। काली माँ की लम्बी जीभ जो सोने की बनी हुई है बाहर निकली हुई है और हाथ और दांत भी सोने से ही बने हुए है ।

माँ की मूरत का चेहरा श्याम रंग में है और आँखे और सिर सिन्दुरिया रंग में है। सिन्दुरिया रंग में ही माँ काली के तिलक लगा हुआ है और हाथ में एक फांसा भी इसी रंग में रंगा हुआ है। देवी को स्नान कराते समय धार्मिक मान्यताओं के कारण प्रधान पुरोहित की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है। मां कालिका के अलावा शीतला, षष्ठी और मंगलाचंडी के भी स्थान है।

मुख्य रूप से 51 शक्तिपीठ हैं, जहां नवरात्रि में पूजा करने से सिद्धि प्राप्त होती हैं। इन नौ शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है कोलकाता की कालीघाट शक्तिपीठ, जहां पर आज भी माता के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु जाते हैं।कहा जाता है कि यहां आज भी मां साक्षात दर्शन देती है।

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मान्यता है कि रजा दक्ष ने एक अपने दामाद भगवान शिव के अपमान के लिए एक यज्ञ किया। यह बात शिव जी की पत्नी और रजा दक्ष की पुत्री माता सती को अच्छी नहीं लगी। सती ने रजा दक्ष द्वारा किए गए हवन की अग्नि में समाकर सती हो गई। भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और सती के जले हुए शरीर को लेकर इधर-उधर भटकने लगे।भगवान शिव के क्रोध में आने से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। जिसके बाद सारे संसार में प्रलय आ गया। प्रलय को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को छिन्न-भिन्न कर दिया। जिससे सती के शरीर के अंग जहां-जहां भी गिरे वह जगह शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

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ये अत्यंय पावन तीर्थ स्थान है जिनके दर्शन मात्र से कल्याण होता है। इसी शक्ति पीठ में कोलकाता का कालीघाट है मान्यता के अनुसार सती के दाएं पैर की चार उंगलियां गिरी थी। मां कलिका का यह मंदिर तंत्र-शक्ति साधना के लिए काफी प्रसिद्ध है। नवरात्रि में यहां देश के कोने-कोने से तांत्रिक तंत्र साधना के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यहां पर तंत्र साधना सफल होती है।

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