×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

ईश्वर के करीब जाने व पुण्य कमाने का महीना 'कार्तिक' शुरू, ऐसे करें नियमों का पालन

suman
Published on: 5 Oct 2017 4:47 PM IST
ईश्वर के करीब जाने व पुण्य कमाने का महीना कार्तिक शुरू, ऐसे करें नियमों का पालन
X

जयपुर:हिंदू धर्म में पौराणिक और प्राचीन ग्रंथों का विशेष महत्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस पूरे कार्तिक मास में व्रत व तप का विशेष महत्व है। उसके अनुसार, जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा है कि भगवान नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुण संपन्न माहात्म्य के संदर्भ में बताया है।

हिंदू पंचाग के अनुसार आठवां मास कार्तिक मास पापों के नाश का मास और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाला मास है,जो भगवान विष्णु को अति प्रिय है। कार्तिक मास की शुरुआत के साथ ही धर्म कार्यों परकाष्ठा बढ़ जाती है। पुराणों में भी कार्तिक मास की चर्चा मासोत्तम मासे कार्तिक मास से शुरू होती है। कहा भी गया है कि कार्तिक मास के समान कोई दूसरा मास नहीं है और सतयुग के समान कोई युग नहीं है। वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। इसी तरह सभी देवताओं में भगवान विष्णु,तीर्थों में बद्रीनारायण को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए इस पवित्र मास में इन बातों का ख्याल रखें और

क्या करें, क्या ना करें

कार्तिक मास में जो लोग संकल्प लेकर हर दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी तीर्थ स्थान, किसी नदी या तालाब पर जाकर स्नान करते हैं या घर में ही गंगाजल युक्त जल से स्नान करते हुए भगवान का ध्यान करते हैं, उस पर भगवान की कृपा अपार होती है। स्नान के बाद पहले भगवान विष्णु और बाद में सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए,फिर पितरों को याद करना चाहिए।

स्नान के बाद नए और साफ कपड़े पहने और भगवान विष्णु जी का धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प और मौसम के फलों के साथ विधिवत सच्चे मन से पूजन करें, भगवान को मस्तक झुकाकर बारंबार प्रणाम करते हुए किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

कार्तिक मास की कथा स्वयं सुनें और दूसरों को भी सुनाएं। कुछ लोग कार्तिक मास में व्रत करने का भी संकल्प करते हैं और केवल फलाहार पर रहते हैं जबकि कुछ लोग पूरा मास एक समय भोजन करके कार्तिक मास के नियम का पालन करते हैं। इस मास में श्रीमद्भागवत कथा, श्री रामायण, श्रीमद्भगवदगीता, श्री विष्णुसहस्रनाम आदि स्रोत्रों का पाठ करना उत्तम है।

यह भी पढ़ें...इस करवा चौथ बढ़ेगा रिश्तों में मिठास, जब पति समझे पत्नी के मन की बात

धर्म शास्त्रों के अनुसार,कार्तिक मास में सबसे पहला काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में तुलसी पूजन करने और सेवन करने का विशेष महत्व है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।

यह भी पढ़ें...वाल्मीकि जयंती — सत्य के ज्ञान से परिचित करवाते महर्षी वाल्मीकि

भूमि पर सोना कार्तिक मास का महत्वपूर्ण काम है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है। इस महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है। इस मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।

यह भी पढ़ें...आज की रात कर लें ये उपाय, सुख-शांति के साथ मां लक्ष्मी की कृपा होगी अपार

कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।

इन चीजों को करें वर्जित

कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।



\
suman

suman

Next Story