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करवा चौथ पर करें इन 5 मंत्रों का जाप, बढ़ेगा आपका सौभाग्य

suman
Published on: 17 Oct 2016 7:50 AM GMT
करवा चौथ पर करें इन 5 मंत्रों का जाप, बढ़ेगा आपका सौभाग्य
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लखनऊ:कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है।इस साल आगामी 19 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा करने के लिए कठोर तप, स्वरूप निर्जला व्रत रखकर अपनी सहनशक्ति और त्याग का परिचय देती है। छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेेश और चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास या सास की उम्र के समान किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

कुमकुम शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी, चॉदी, सोने या पीतल आदि किसी भी धातु का टोंटीदार करवा और ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का चूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए रूपए तैयार रखने चाहिए।

व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर श्रृंगार कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के बाद संकल्प कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।

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ऐसे करें पूजा की शुरुआत

नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा करने के लिए बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर भगवान शिव-देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा एवं गणेशजी को स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के बाद यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें। पूजन के समय निम्न मंत्र- मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। सांयकाल के समय, मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें लकड़ी के आसार पर बिठाए। मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें। भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और करवे में पानी भरकर पूजा करें। सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन र्निजला व्रत रखकर कथा का श्रवण करें। तत्पश्चात चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।

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प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। साल 2016 में करवा चौथ 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 06 बजकर 50 मिनट तक। करवा चौथ के दिन चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 08.50 बजे है।

इन पांच मंत्रों का करें जाप

इस दिन भगवान शिव तथा मां पार्वती, स्वामी कार्तिकेय तथा भगवान श्रीगणेश एवं चंद्रमा का पूजन करने का विधान है। इनके पूजन के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी रहता है। अत: करवा चौथ के दिन इन मंत्रों का जाप अवश्य किया जाना चाहिए।

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करवा चौथ व्रत पूजा के मंत्र...

पार्वतीजी का मंत्र - ॐ शिवायै नमः

शिव का मंत्र - ॐ नमः शिवाय

स्वामी कार्तिकेय का मंत्र - ॐ षण्मुखाय नमः

श्रीगणेश का मंत्र - ॐ गणेशाय नमः

चंद्रमा का पूजन मंत्र - ॐ सोमाय नमः

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