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इसी दिन शुरू हुआ था रामचरित मानस, आदर्श-मर्यादा का संगम हैं श्रीराम
लखनऊ: चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रत्येक तिथि का धर्मशास्त्रों में विशेष महत्व है। इसकी प्रतिपदा से चैत नवरात्रि शुरू होती है। इस दौरान नवरात्रि के साथ रामनवमी होने से महत्व दोगुना हो जाता है। कहा गया है कि त्रेता युग में इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्म राम का जन्म हुआ था। रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के आंगन में दिन के 12 बजे श्रीरामजी की किलकारी गुजी थी।
जिसे देखकर सब विस्मित हो गए थे। उस वक्त उनके सौंदर्य और तेज को देखकर किसी के नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे। श्रीराम के जन्मोत्सव को देखकर देवलोक भी अवध के सामने फीका लग रहा था। देवता, ऋषि, किन्नर, चारण सभी जन्मोत्सव में शामिल होकर आनंद उठा रहे थे। उसी समय से हर साल चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाया जाता हैं । इस दिन को ही रामनवमी कहते है।
रामचरित मानस की रचना
रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना का श्रीगणेश किया था। इस दिन जो व्यक्ति दिनभर उपवास रहकर और रात को जागरण करता है, भगवान श्रीराम की पूजा करता है, औरअपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करता है,
वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होता है। ये त्योहार हर दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रि का समापन भी होता है। इस तथ्य से ज्ञात होता है कि भगवान श्री रामजी ने भी देवी दुर्गा की पूजा की थी और उनके द्वारा कि गई शक्ति पूजा ने उन्हें धर्म युद्ध में उन्हें विजय प्राप्त हुई थी।
कैसे करें पूजन, दान पुण्य
रामनवमी को हिंदू धर्म का बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है।पूरे दिन पवित्र मुहूर्त का होता है। इस दिन पूजन, दान और पुण्य करने से मोक्ष मिलता हैं। भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन नए घर, दुकान या प्रतिष्ठान में प्रवेश किया जा सकता है। रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके रामजी की मूर्ति को गंगाजल स्नान कराएं। फिर उस पर कुंकुम, हल्दी, चंदन का तिलक लगाए।
भगवान राम को खीर या मेवे का भोग लगाएं। भगवान राम की पूजा करते वक्त रामरक्षस्त्रोत का पाठ अवश्य करें। राममंत्र, सुंदरकांड का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं। किसी प्रकार के शुभ कार्य करने की दृष्टि से ये एक महत्वपूर्ण दिन है। इससे अक्षय पुण्य मिलता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत इस दिन से किया जा सकता हैं। रामनवमी के दिन पास के किसी राम मंदिर में जाकर दिया जलाएं और प्रसाद चढ़ाएं।
रामनवमी व्रत के साथ अखाड़ों में भी महिलाएं
रामनवमी का व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिला को सुबह उठना चाहिए। घर की सफाई कर गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। एक लकड़ी के चौकोर टुकड़े पर सतिया बनाकर एक जल से भरा गिलास रखना चाहिए और अपनी अंगुली से चांदी का छल्ला निकाल कर रखना चाहिए। इसे गणेशजी का प्रतीक माना जाता है। व्रत कथा सुनते समय हाथ में गेहूं-बाजरा आदि के दाने लेकर कहानी सुनने का भी महत्व है।
रामनवमी के अवसर पर अखाड़ों पर अक्सर पुरूषों को देखा जाता था। रामनवमी की पूजा-पाठ से लेकर जुलूस तक पुरूषों की ही भागीदारी रहती थी, लेकिन अब महिलाएं भी अपनी हिस्सेदारी निभा रही है। जुलूस में नाचने गाने से लेकर अखाड़े और मेला मैदान तक झंडा पहुंचाने का काम महिलाएं बखूबी निभा रहीं है। इस तरह महिलाओं की भागीदारी महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है।