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ASTRO: 13 जनवरी को ही मनाए लोहड़ी पर्व, यह है शुभ मुहूर्रत

suman
Published on: 13 Jan 2018 1:19 AM GMT
ASTRO: 13 जनवरी को ही मनाए लोहड़ी पर्व, यह है शुभ मुहूर्रत
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सहारनपुर: शनिवार की सायंकाल 6 बजे लकड़ियां, समिधा, रेवड़ियां, तिल आदि सहित अग्नि प्रदीप्त करके अग्नि पूजन के रुप में लोहड़ी का पर्व मनाएं। इस दिन तिल द्वादशी रात्रि 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।वृद्धि योग भी है।

ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार, संपूर्ण भारत में लोहड़ी का पर्व धार्मिक आस्था, ऋतु परिवर्तन, कृषि उत्पादन, सामाजिक औचित्य से जुड़ा है। पंजाब में यह कृषि में रबी फसल से संबंधित है, मौसम परिवर्तन का सूचक तथा आपसी सौहार्द्र का परिचायक है। सायंकाल लोहड़ी जलाने का अर्थ है कि अगले दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पर उसका स्वागत करना।

13 जनवरी को शुभ मुहर्रत लोहड़ी सायं 6 बजे के बाद रात्रि 11 बजकर 50 मिनट तक है, सामूहिक रुप से आग जलाकर सर्दी भगाना और मूंगफली , तिल, गज्चक , रेवड़ी खाकरशरीर को सर्दी के मौसम में अधिक समर्थ बनाना ही लोहड़ी मनाने का उद्ेश्य है। आधुनिक समाज में लोहड़ी उन परिवारों को सड़क पर आने कोमजबूर करती है जिनके दर्शन पूरे वर्ष नहीं होते। रेवड़ी मूंगफली का आदान प्रदान किया जाता है। इस तरह सामाजिक मेल जोल में इस त्योहार कामहत्वपूर्ण योगदान है।

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इसके अलावा कृषक समाज में नव वर्ष भी आरंभ हो रहा है। परिवार में गत वर्ष नए शिशु के आगमन या विवाह के बाद पहली लोहड़ी पर जश्नमनाने का भी यह अवसर है। दुल्ला भटट्ी की सांस्कृतिक धरोहर को संजो रखने का मौका है। बढ़ते हुए अश्लील गीतों के युग में ‘संुदरिए मुंदरिएहो ’ जैसा लोक गीत सुनना बचपन की यादें ताजा करने का समय है।

आयुर्वेद के दृष्टिकोण से जब तिल युक्त आग जलती है, वातावरण में बहुत सा संक्रमण समाप्त हो जाता है और परिक्रमा करने से शरीर में गति आती है। गावों मे आज भी लोहड़ी के समय सरसों का साग, मक्की की रोटी अतिथियों को परोस कर उनका स्वागत किया जाता है।

ज्योतिशीय दृष्टि से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। दिन बढ़ने आरंभ हो जाते हैं। पंजाब में माघी मेले का अवसर है जो माघ के आरंभ में होता है।

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