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अमेरिका में मिला है पाताल लोक, जानिए कैसे जुड़ा है हनुमान से नाता
लखनऊ: बजरंग बली से जुड़ी कहानियों और किस्सों को जानने में लोगों की दिलचस्पी हमेशा बनी रहती है। इसके प्रमाण मिलने से लोगों की गहरी आस्था जुड़ जाती है। हनुमान जी और पाताललोक से जुड़ें ऐसे ही कुछ साक्ष्य हमें इंडिया से 1000किमी दूर मध्य अमेरिका के देश होंडुरस में मिले हैं। कहा जाता है कि रामायण में रावण के भाई अहिरावण को मारने के लिए बजरंगबली एक गुफा से होते हुए इसी देश में गए थे और ये गुफा मप्र के पातालकोट में है।
वो दुनिया जो जमीन के नीचे है। जहां इंसानों का पहुंचना तक संभव नहीं। वहां पवनपुत्र पहुंचे थे। पौराणिक कथाओं में पाताल लोक का जिक्र बार-बार मिलता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या पाताल लोक काल्पनिक है या इसका वजूद भी है? रामायण की कथा के मुताबिक पवनपुत्र हनुमान पाताल लोक तक पहुंचे थे। वे भगवान राम के सबसे बड़े भक्त थे। रामायण की कथा के मुताबिक रामभक्त हनुमान अपने ईष्ट देव को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए एक सुरंग से पाताल लोक पहुंचे थे।
इस कथा के मुताबिक पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है। वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार योजन की गहराई पर जाना पड़ता है। अगर आज के वक्त में हम अपने देश में कहीं सुरंग खोदना चाहें तो ये सुरंग अमेरिका महाद्वीप के मैक्सिको, ब्राजील और होंडुरास जैसे देशों तक पहुंचेगी। हाल ही में वैज्ञानिकों ने मध्य अमेरिका महाद्वीप के होंडुरास में सियूदाद ब्लांका नाम के एक गुम प्राचीन शहर की खोज की है। वैज्ञानिकों ने इस शहर को आधुनिक लाइडर तकनीक से खोज निकाला है।
मध्य प्रदेश के पातालकोट की गुफा
पातालकोट में एक गुफा है। जिसे राजाखोह भी कहा जाता है। इसे लेकर कई कहानियां हैं। माना जाता है कि कटोरानुमा चट्टान के नीचे स्थित यह गुफा भारत से हजारों किमी दूर मध्य अमेरिका के होंडूरस देश में निकलती है। रामायण में अहिरावण की जो गुफा बताई गई है, वह होंडूरस में है। होंडूरस में ही एक सिटी ऑफ मंकी गॉड के नाम से एक जगह भी मिली है।
जहां वानर देवताओं की मूर्ति है। यहां हजारों साल पुरानी मूर्तियां मिली हैं, जो यह बताती हैं कि वहां के लोग वानर देवताओं की पूजा करते थे। मंकी गॉड की यह मूर्ति बिल्कुल बजरंग बली की तरह दिखती है। हालांकि पातालकोट स्थित उस गुफा के अंदर आज तक कोई गया नहीं है। कहा जाता है कि मध्य अमेरिका और होंडूरस धरती पर बिल्कुल भारत के नीचे हैं।
पातालकोट मप्र के छिंदवाड़ा जिले में है। यहां कुछ गांव धरती से 1700 फीट नीचे हैं। इन गांवों के पास ही वह गुफा है। पातालकोट के इन गांवों में भारिया और गोंड आदिवासी रहते हैं। पौराणिक कथा यह भी है कि रावण के बेटा मेघनाद भगवान शिव की पूजा कर यहीं से पाताललोक गया था। इसलिए इसका नाम पातालकोट पड़ा।
ये है पाताल लोक
इस शहर को बहुत से जानकार वो पाताल लोक मान रहे हैं जहां राम भक्त हनुमान पहुंचे थे। दरअसल, इस विश्वास की कई पुख्ता वजह है। संभव है कि भारत या श्रीलंका से कोई सुरंग खोदी जाएगी तो वो सीधे यहीं निकलेगी। दूसरी वजह ये है कि वक्त की हजारों साल पुरानी परतों में दफन सियुदाद ब्लांका में ठीक राम भक्त हनुमान के जैसे वानर देवता की मूर्तियां मिली हैं।
इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन शहर सियुदाद ब्लांका के लोग एक विशालकाय वानर देवता की मूर्ति की पूजा करते थे। लिहाजा, ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं हजारों साल प्राचीन सियूदाद ब्लांका ही तो रामायण में जिक्र पाताल पुरी तो नहीं है।
होंडुरास के घने जंगलों में मिले साक्ष्य
यहां के घने जंगलों के बीच मस्कीटिया नाम के इलाके में हजारों साल पहले एक गुप्त शहर सियूदाद ब्लांका था। कहा जाता है कि हजारों साल पहले इस प्राचीन शहर में एक फलती-फूलती सभ्यता सांस लेती थी, जो अचानक ही वक्त की गहराइयों में गुम हो गई।यहां ऐसे कई अवशेष मिले हैं जो इशारा करते हैं कि सियूदाद के निवासी वानर देवता की पूजा करते थे। यहां वानर देवता की घुटनों के बल बैठे मूर्ति को देखते ही राम भक्त हनुमान की याद आ जाती है।
राम और लक्ष्मण का अपहरण
दरअसल, मध्य अमेरिका के एक मुल्क में प्राचीन शहर की खोज के साथ सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि रामायण की कथा में ऐसे सूत्र बिखरे पड़े हैं जो कहते हैं कि भारत-श्रीलंका की जमीन के ठीक नीचे वो लोक हैं जिसे पाताल पुरी कहा जाता था। पाताल पुरी का जिक्र रामायण के उस अध्याय में आता है, जब मायावी अहिरावण राम और लक्ष्मण का हरण कर उन्हें अपने माया लोक पाताल पुरी ले जाता है।
मकरध्वजा था ब्रह्मचारी हनुमान के ही पुत्र
रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी को अहिरावण तक पहुंचने के लिए पातालपुरी के रक्षक मकरध्वजा को परास्त करना पड़ा था जो ब्रह्मचारी हनुमान का ही पुत्र था। दरअसल, मकरध्वजा एक मत्स्यकन्या से उत्पन्न हुए थे, जो लंकादहन के बाद समुद्र में आग बुझाते हनुमान जी के पसीना गिर जाने से गर्भवती हुई थी। रामकथा के मुताबिक अहिरावण वध के बाद भगवान राम ने वानर रूप वाले मकरध्वजा को ही पातालपुरी का राजा बना दिया था, जिसे पाताल पुरी के लोग पूजने लगे थे।
अमेरिकी वैज्ञानिकों की टीम ने खोज निकाला
घने जंगलों में, जमीन में दफन एक प्राचीन शहर अपने इतिहास के साथ सांस ले रहा है ये शायद दुनिया कभी नहीं जान पाती, अगर अमेरिकी वैज्ञानिकों की टीम ने उसे तलाशने के लिए क्रांतिकारी तकनीक का इस्तेमाल नहीं की होती। लाइडर के नाम से जानी जाने वाली तकनीक ने जमीन के नीचे की 3-D मैपिंग से कैसे प्राचीन शहर को खोज निकाला।
मध्य अमेरिकी देश होंडुरास में वानर देवता वाले प्राचीन शहर की खोज बरसों पुरानी है। होंडूरास में उस प्राचीन शहर की किवदंती सदियों से सुनाई जाती हैं जहां बजरंग बली जैसे वानर देवता की पूजा की जाती थी। ये कहानियां होंडूरास पर राज करने वाले पश्चिमी लोगों तक भी पहुंची।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद एक अमेरिकी पायलट ने होंडूरास के जंगलों में कुछ अवशेष देखने की बात की, लेकिन इसके बारे में पहली पुख्ता जानकारी अमेरिकी खोजकर्ता थियोडोर मोर्डे ने1940 में दी। एक अमेरिकी मैगजीन में उसने लिखा कि उस प्राचीन शहर में वानर देवता की पूजा होती थी, लेकिन उसने शहर की जगह का खुलासा नहीं किया। बाद में रहस्यमय हालात में थियोडोर की मौत हो जाने से प्राचीन शहर की खोज अधूरी रह गई।
इसके करीब 70 साल बाद अब होंडूरास के घने जंगलों के बीच मस्कीटिया नाम के इलाके में प्राचीन शहर के निशान मिलने शुरू हुए हैं जो संभव हुआ लाइडार तकनीक से। अमेरिका के ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर फॉर एयरबोर्न लेजर मैपिंग ने होंडूरास के जंगलों के ऊपर आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से प्राचीन शहर के निशान को खोज निकाला है।
दरअसल, पर्यावरण के प्रति सजग होंडूरास जंगलों के बीच खुदाई की इजाजत नहीं देता है, ऐसे में सिर्फ ये अनुमान ही लगाया जा सकता है कि जंगलों में एक प्राचीन शहर दफन है, इस इलाके में बजरंगबली जैसी वानर देवता की कुछ मूर्तियां जरूर मिली हैं, जिससे ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि कहीं किवदंतियों का ये शहर रामायण में जिक्र पाताल लोक ही तो नहीं है।