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महा शिवरात्रि : जानिए शिव-पार्वती के तीसरे पुत्र अंधक के जीवन का रहस्य

suman
Published on: 7 Feb 2018 3:04 AM GMT
महा शिवरात्रि : जानिए शिव-पार्वती के तीसरे पुत्र अंधक के जीवन का रहस्य
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सहारनपुर : आगामी 14 फरवरी 2018 को पुरे देश में महा शिवरात्रि पर्व मनाया जायेगा. इस दिन उपासक भोलेनाथ की पूजा अर्चना करेंगे. शिवरात्रि से जुड़े कुछ रहस्यों से हम आपको अवगत करायेंगे. आज हम भगवन शिव के तीसरे पुत्र के जन्म के पीछे का रहस्य बताएंगे। यूँ तो समस्त संसार शिव पुत्रों भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश के विषय में जानता है,किन्तु बहुत कम लोग यह जानते है कि उनका तीसरा पुत्र भी था। वह पुत्र देवता नहीं बल्कि एक दैत्य था। उनके इस पुत्र का नाम अंधक था।

अंधक की कथा का उल्लेख वामन पुराण में किया गया है, जिसके अनुसार एक बार भगवान शिव काशी में अपने ध्यान में लीन बैठे थे। तभी देवी पार्वती ने पीछे से आकर अपने दोनों हाथों से उनकी आँखें ढँक दीं। माता के ऐसा करने से एक ही पल में पूरे जगत में अन्धकार हो गया। तब संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपनी तीसरी आँख खोल दी, जिसके बाद फिर से पूरा जगत प्रकाश में डूब गया। ऐसा करके भोलेनाथ ने संसार को तो बचा लिया, किन्तु उनकी तीसरी आँख की रोशनी से जो ताप उत्पन्न हुआ, उससे माता पार्वती को पसीना आ गया। इस पसीने की बूंदों से एक बालक का जन्म हुआ, जो कि दिखने में दैत्य के समान भयानक मुख वाला था। जब देवी ने भोलेनाथ से उस बालक के उत्पत्ति का कारण पूछा, तो भगवान ने उसे उनका पुत्र बताया। उस बालक ने अंधकार की वजह से जन्म लिया था, इसलिए उसे अंधक नाम दिया गया।

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ऐसा माना जाता है कि हिरण्याक्ष नाम के असुर ने पुत्र-प्राप्ति के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे अपना पुत्र अंधक वरदान के रूप में दे दिया। अंधक का पालन-पोषण असुरों के बीच में ही हुआ और आगे चल कर वह असुरों का राजा बन गया।

कहा जाता है कि अंधक बहुत ही शक्तिशाली था, किन्तु वह और भी बलवान बनना चाहता था। इसलिए उसने ब्रह्मा जी की तपस्या की और उनसे वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु तब ही हो जब वो अपनी माता को बुरी नज़र से देखे, अन्यथा किसी भी तरह से वह न मर सके। क्योंकि अंधक अपने असली माता पिता के बारे में भूल चुका था, इसलिए उसे लगा कि उसकी कोई माँ नहीं है और वह अपने आप को अमर मानने लगा।

ब्रह्मा जी के वरदान से अन्धक और भी बलवान हो चुका था और तीनों लोकों को जीत चुका था। वह त्रिलोक विजयी था, इसलिए वह सबसे सुन्दर कन्या से विवाह करना चाहता था। जब उसे यह पता चला की देवी पार्वती पूरे जगत में सबसे रूपवती स्त्री हैं तो वह उनके पास विवाह का प्रस्ताव लेकर गया। देवी पार्वती ने क्रोधित होकर उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया। इससे उद्विग्न होकर अंधक उन्हें ज़बरदस्ती उठाकर ले जाने की कोशिश करने लगा। तभी माता ने भोलेनाथ का आह्वान किया। देवी की पुकार सुनकर भगवान सदाशिव प्रकट हुए और उन्होंने अंधक को चेताया कि पार्वती उसकी माता है। इसके पश्चात भी न मानने पर भगवान श्री रुद्र ने उसका वध कर दिया। वामन पुराण में बताया गया है कि अंधक भगवान शिव तथा देवी पार्वती का पुत्र था। परन्तु एक अन्य कथा भी है जिसके अनुसार अंधक ऋषि कश्यप और दिति का पुत्र था, जिसका वध भगवान शिव ने किया था।

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