TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

14 साल की उम्र में रखा था राजनीति में कदम, ऐसे बन गये सियासत की बिसात पर 'अजेय'

Aditya Mishra
Published on: 30 July 2018 4:25 PM IST
14 साल की उम्र में रखा था राजनीति में कदम, ऐसे बन गये सियासत की बिसात पर अजेय
X

नई दिल्ली: तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि को तबियत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रविवार को उनकी हालत अचनक से बिगड़ गई थी, लेकिन इलाज के बाद अब उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। उनकी सेहत पर विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल लगातार नजर बनाए हुए है। इस बीच भारी संख्या मे करुणानिधि के समर्थक और पार्टी के कार्यकर्ता कावेरी अस्पताल के बाहर इकट्ठा हो गए हैं।

newstrack.com आज आपको एम. करुणानिधि यानी कि मुत्तुवेल करुणानिधि के लाइफ से जुड़ी 10 खास बातें बता रहा है। जिसके जरिये आप उनकी लोकप्रियता और सियासत में उनके कद का अंदाजा लगा सकते है।

ये भी पढ़ें...राहुल गाँधी ने डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि से की मुलाकात, जाना हालचाल

एम. करुणानिधि यानी कि मुत्तुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को हुआ था। तिरुवरूर के तिरुकुवालाई में जन्मे करुणानिधि के पिता मुथूवेल तथा माता अंजुगम थीं। करुणानिधि ने तीन शादियां की। उनकी पत्नियों में से एक पद्मावती का देहांत हो चुका है। जबकि अन्य दो पत्नियां दयालु और रजती हैं। उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं। बेटों में एमके मुथू को पद्मावती ने जन्म दिया और दयालु की संतानें एमके अलागिरी, एमके स्टालिन, एमके तमिलरासू और बेटी सेल्वी हैं। उनकी दूसरी बेटी कनिमोई रजति की संतान हैं।

करुणानिधि के जीवन से जुड़ी 10 खास बातें :

  1. करुणानिधि 14 साल की उम्र में ही राजनीति के मैदान पर उतर गए थे इसकी शुरुआत हुई ‘हिंदी-हटाओ आंदोलन’ से। वर्ष 1937 में हिन्दी भाषा को स्कूलों में अनिवार्य भाषा की तरह लाया गया और दक्षिण में इसका विरोध शुरू हो गया। करुणानिधि ने भी इसकी खिलाफत शुरू कर दी। कलम को हथियार बनाते हुए हिंदी को अनिवार्य बनाए जाने के विरोध में जमकर लिखा। हिंदी के विरोध में और लोगों के साथ रेल की पटरियों पर लेट गए और यहीं से उन्हें पहचान मिली।
  2. हिंदी विरोधी आंदोलन के बाद करुणानिधि का लिखना-पढ़ना जारी रहा और 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग की कंपनी 'ज्यूपिटर पिक्चर्स' में पटकथा लेखक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। अपनी पहली फिल्म 'राजकुमारी' से ही वे लोकप्रिय हो गए। उनकी लिखीं 75 से अधिक पटकथाएं काफी लोकप्रिय हुईं। यही वजह है कि भाषा पर महारत रखने वाले करुणानिधि को उनके समर्थक 'कलाईनार' यानी कि "कला का विद्वान" भी कहते हैं।
  3. एम. करुणानिधि कोयंबटूर में रहकर व्यावसायिक नाटकों और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिख रहे थे। कहा जाता है कि इसी दौरान पेरियार और अन्नादुराई की नजर उन पर पड़ी। उनकी ओजस्वी भाषण कला और लेखन शैली को देखकर उन्हें पार्टी की पत्रिका ‘कुदियारासु’ का संपादक बना दिया गया। हालांकि इसके बाद 1947 में पेरियार और उनके दाहिने हाथ माने जाने वाले अन्नादुराई के बीच मतभेद हो गए और 1949 में नई पार्टी ‘द्रविड़ मुनेत्र कड़गम’यानी डीएमके की स्थापना हुई. यहां से पेरियार और अन्नादुराई के रास्ते अलग हो गए।
  4. डीएमके की स्थापना के बाद एम. करुणानिधि की अन्नादुराई के साथ नजदीकियां बढ़ती चली गईं। पार्टी की नींव मजबूत करने और पैसा जुटाने की जिम्मेदारी करुणानिधि को मिली। करुणानिधि ने इस दायित्व को बखूबी निभाया। इस दौरान वह तमिल फिल्म इंडस्ट्री में भी सक्रिय रहे और उनकी लिखी ‘परासाक्षी’जैसी फिल्में सुपर-डुपर हिट रहीं। करुणानिधि की अधिकतर फिल्मों में सामाजिक बुराईयों पर चोट और 'द्रविड़ अस्मिता' की आवाज बुलंद होती थी।
  5. वर्ष 1957 में डीएमके पहली बार चुनावी मैदान में उतरी और विधानसभा चुनाव लड़ी। उस चुनाव में पार्टी के कुल 13 विधायक चुने गए। जिसमें करुणानिधि भी शामिल थे। इस चुनाव के बाद डीएमके की लोकप्रियता बढ़ती गई और सिर्फ 10 वर्षों के अंदर पार्टी ने पूरी राजनीति पलट दी। वर्ष 1967 के विधानसभा चुनावों में डीएमके ने पूर्ण बहुमत हासिल किया और अन्नादुराई राज्य के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। हालांकि सत्ता संभालने के दो ही साल बाद ही वर्ष 1969 में अन्नादुराई का देहांत हो गया।
  6. अन्नादुराई की मौत के बाद करुणानिधी 'ड्राइविंग सीट' पर आ गए और सत्ता की कमान संभाली। वर्ष 1971 में वे दोबारा अपने दम पर जीतकर आए और मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। यहां सिनेमाई हीरो एम जी रामचंद्रन उनके नए साथी बने। इसी दौरान उनकी अभिनेता एमजीआर से नजदीकी बढ़ी, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं चला. एमजीआर ने एआईडीएमके (AIADMK) के नाम से अपनी नई पार्टी बना ली। 1977 के चुनावों में एमजीआर ने करुणानिधि को करारी शिकस्त दी।
  7. 1977 के बाद से तमिलनाडु में शह-मात का सिलसिला चलता रहा. अपने 60 साल से ज्यादा के राजनीतिक करियर में करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के सीएम बने। उनके नाम सबसे ज्यादा 13 बार विधायक बनने का रिकॉर्ड भी है। केंद्र में संयुक्त मोर्चा, एनडीए और यूपीए सबके साथ सरकार में उनकी पार्टी शामिल रही है। बतौर करुणानिधि वह खुद एक चलती-फिरती लाइब्रेरी हैं. जीवन में पढ़ी सारी किताबें उन्हें याद हैं।
  8. एम करुणानिधिराजनीतिज्ञ, फिल्म पटकथा लेखक, पत्रकार के साथ-साथ तमिल साहित्यकार के रूप भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कविताएं, उपन्यास, जीवनी, निबंध, गीत आदि भी रचे हैं। उनकी लिखी हुई किताबों की संख्या सौ से अधिक है।उनके घर में भी एक लाइब्रेरी है जिसमें 10,000 से ज्यादा किताबें हैं।
  9. कहा जाता है कि करुणानिधि को योग बहुत पसंद है और वे सामान्य दिनों मेंयोगाभ्यास से चूकते नहीं है।करुणानिधि ने अपना मकान दान कर दिया है। उनकी इच्छा के मुताबिक उनकी मौत के बाद उनके घर को गरीबों के लिए अस्पताल में तब्दील कर दिया जाएगा।
  10. कहा जाता है कि करुणानिधि को योग बहुत पसंद है और वे सामान्य दिनों मेंयोगाभ्यास से चूकते नहीं है। करुणानिधि ने अपना मकान दान कर दिया है. उनकी इच्छा के मुताबिक उनकी मौत के बाद उनके घर को गरीबों के लिए अस्पताल में तब्दील कर दिया जाएगा।



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story