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नवरात्रि स्पेशल: हो जाएगी हर मन्नत पूरी, अगर टेकेंगे मरी माता के मंदिर में मत्था
बहराइच: शहर के उत्तरी छोर पर बहराइच-लखनऊ राजमार्ग के निकट सरयू नदी के तट पर स्थित मां मरीमाता का मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। नवरात्रि में मंदिर में पूजन-अर्चन के लिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसके अलावा सोमवार और शुक्रवार को भी मंदिर में पूजा के लिए भीड़ उमड़ती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मां के दरबार में मन से माथा टेकता है, उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है।
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सरयू तट पर मरीमाता का भव्य मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण तो नया है। लेकिन मरीमाता स्थल की मान्यता काफी पुरानी है। बुजुर्ग बताते हैं कि सरयू तट से लखनऊ-बहराइच मुख्य मार्ग को जाने वाले रास्ते पर छह दशक पूर्व काफी घना जंगल था। यहीं पर दो साधु आकर रुके थे। साधुओं ने नीम के पेड़ के तले विश्राम किया। रात में उन्हें पेड़ की जड़ के पास मां दुर्गा की पिंडी मिट्टी में दबे होने का स्वपन आया। साधु सोकर उठे तो आस-पास के गांव के लोगों को बुलवाकर मिट्टी हटवाई गई। मिट्टी के हटते ही अति प्राचीन पिंडी मिली।
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साफ-सफाई कर नीम के तले पिंडी की स्थापना कर पूजा-अर्चना शुरू की गई। आस-पास के लोग भी धीरे-धीरे पिंडी स्थल पर पहुंचने लगे। कई भक्तों की मन्नत भी पूरी हुई। जिसके चलते नवरात्रि महोत्सव में यहां पर मेला लगने लगा। जिनकी प्रार्थना पूरी हुई। उन्हीं के सहयोग से मंदिर का निर्माण शुरू किया गया। धीरे-धीरे मंदिर ने भव्य रूप लिया। श्रद्धालुओं की ओर से प्रत्येक सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को मंदिर परिसर में मेले का आयोजन होता है।
इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर भी मेला लगता है। नवरात्रि महोत्सव में तो 9 दिन सरयू तट पर स्थित इस मंदिर में तिल डालने भर की जगह नहीं बचती। 24 घंटे पूजन अर्चन का सिलसिला चलता है। मंदिर में नवरात्रि में विशेष पूजन अर्चन किया जाता है। दशमी के दिन पूरे समय हवन-पूजन आदि कार्यक्रम होते हैं। इसके साथ ही मुंडन, यज्ञोपवीत आदि संस्कार भी लोग करवाने के लिए आते हैं।
मंदिर को जाने तक रास्ता तक नहीं था
मंदिर के महंत रामफेरे व रामदीन समेत चार पुजारी छह दशक से मंदिर की पूजा कर रहे हैं। पुजारी रामफेरे का कहना है कि मंदिर तक जाने के लिए पहले रास्ता तक नहीं था। इसके बाद भी श्रद्धालु की भीड़ कम नहीं रहती थी। मां के पास आने वाले सभी भक्तों की प्रार्थना को मां स्वीकार करती हैं। मंदिर में पूजन-अर्चन के साथ हिंदू धर्म के विभिन्न संस्कार पूरे कराए जाते हैं। उन्होंने ने बताया कि मंदिर में कुल चार पुजारी तैनात हैं। इनमें केशव व आशाराम भी शामिल हैं।
नेपाल व पड़ोसी जिलों से भी आते हैं श्रद्धालु
मंदिर के महंत का कहना है कि मरी मैय्या की पूजा और आशीर्वाद लेने के लिए नेपाल के साथ ही लखीमपुर, सीतापुर, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर जिलों से भी भक्त काफी संख्या में आते हैं।