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मंत्रानुष्ठान के लिए ऐसे करें नियमों का पालन, तभी होगा काम सार्थक

suman
Published on: 15 Feb 2017 11:18 AM IST
मंत्रानुष्ठान के लिए ऐसे करें नियमों का पालन,  तभी होगा काम सार्थक
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लखनऊ: किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए कई नियम होते हैं। सफल मंत्रानुष्ठान के लिए साधक को नियम-संयम, विधि-विधान के साथ-साथ गुरु परामर्श, समय बाध्यता, स्वर, दिशा और ऐसे की कई अन्य नियमों का पालन तो जरुरी है, साथ ही अन्य नियम भी अनिवार्य हैं। प्राचीन कालीन में ऋषि- मुनियों ने इनका परीक्षण कर नियमों को तैयार किया। जानिए अगर आप कोई मंत्र अनुष्‍ठान कर रहे हैं तो इसमे साधक को क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं।

स्थान की भांति समय भी निश्चित रहे। साधना नियमित होनी चाहिए। स्नान करके शुद्ध एवं स्वच्छ वस्त्र पहनकर साधना स्थल में जाना चाहिए। दिनभर के पहने हुए कपड़े अनुष्ठान के समय नहीं पहनने चाहिए।

वस्त्र कम से कम हों। सिला हुआ वस्त्र पहनना वर्जित होता है। साधना स्थल पूर्णतया शान्त, सुरक्षित और एकान्त में हो। साधना काल में भोजन शुद्ध, सात्विक और सूक्ष्म होना चाहिए।

साधना काल की अपनी अनुभूतियों का वर्णन नहीं करना चाहिए। आसन पर एक बार बैठ जाने पर बार-बार उठना उचित नहीं होता। बैठते वक्‍त शरीर सीधा रहे। मेरुदण्ड को झुकना नहीं चाहिए।

जप की माला का प्रदर्शन न करके उसे गोमुखी या किसी स्वच्छ वस्त्र से ढक लेना चाहिए। साधना के समय मानसिक चंचलता के निवारण हेतु इष्टदेव के चित्र पर ध्यान लगाना चाहिए। चित्र या मूर्ति, साधना स्थल पर पहले से स्थापित करना उपयुक्त होता है।



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