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पीरियड को लेकर समाज में हैं कई पाबंदी, जानिए इससे जुड़ी दूसरे धर्मों की बातें

suman
Published on: 10 Dec 2016 5:35 AM GMT
पीरियड को लेकर समाज में हैं कई पाबंदी, जानिए इससे जुड़ी दूसरे धर्मों की बातें
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लखनऊ: हमारे समाज में पीरियड पर सामाजिक दृष्टि से खुलकर बात करने में एक तरह से मनाही है। यहां महिलाओं का पीरियड आने पर उसे दोषपूर्ण माना जाता है। अधिकांश समाजों और धर्मों में पीरियड को को अस्वच्छ माना जाता है।

विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में पीरियड को कई दृष्टिकोणों से देखा जाता है परंतु भारती समाज में हम मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं के बारे में बता रहे हैं। आइए देखें कि विभिन्न धर्मों में पीरियड संबंधी क्या वर्जनाएं हैं।

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पीरियड को लेकर हिंदू धर्म की मान्यता....

हिंदू धर्म: हिंदू धर्म के अनुसार जिस महिला को पीरियड हुआ है उसे अस्वच्छ माना जाता है और उसे नियमों का पालन करना पड़ता है। हिंदू धर्म में जिस महिला को पीरियड आया हुआ है वह किचन (जिसमें पूजा का कमरा भी हो) और मंदिरों में प्रवेश नहीं कर सकती। उसे जोर से बोलने का, फूल पहनने का तथा किसी व्यक्ति को स्पर्श करने का अधिकार नहीं होता। जी हां, इन रिवाजों का आज भी पालन किया जाता है! पीरियड से ग्रसित महिला को समाज में निषिद्ध माना जाता है जो पीरियड की अवधि समाप्त होने तक अपने परिवार से भी नहीं मिल सकती।

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islam

इस्लाम: इस धर्म में पीरियड के दौरान महिला किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यों या रीति रिवाजों में भाग नहीं ले सकती। इस्लाम धर्म में इस दौरान किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध बनाना पूर्ण रूप से वर्जित है। मासिक धर्म के दौरान महिला त्योहार में उपस्थित रह सकती है परन्तु भगवान की प्रार्थना में भाग नहीं ले सकती।

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christian

ईसाई धर्म: अस्वच्छता की अवधारणा पर ईसाई धर्म में पीरियड से ग्रसित महिला को अस्वच्छ माना जाता है। अन्य लोग ऐसा सोचते हैं कि इस नियम को तोड़ना चाहिए, क्योंकि भगवान ईशु ने अपने इलाज के लिए मासिक धर्म से ग्रसित महिला को स्पर्श करने की अनुमति दी थी।

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सिख धर्म: सिख धर्म के अनुसार पीरियड के दौरान महिला को उसे उतना ही शुद्ध माना जाता है जितना पुरुष को। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक ने पीरियड के दौरान महिलाओं को अशुद्ध मानने के विचार की निंदा की। इस धर्म में पीरियड के दौरान महिला को अशुद्ध नहीं माना जाता, बल्कि इस दौरान वह भगवान की पूजा भी कर सकती है और सेवा भी कर सकती है। इसके द्वारा सिख धर्म ने यह संदेश दिया कि पीरियड के दौरान महिला शुद्ध होती है क्योंकि मासिक चक्र भगवान द्वारा दिया गया एक उपहार है।

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यहूदी धर्म: यहूदी धर्म के अनुसार यदि इस दौरान कोई व्यक्ति किसी ऐसी महिला को स्पर्श कर लेता है तो वह तब तक शुद्ध नहीं होता, जब तक वह नहा नहीं लेता। यहूदी धर्म में इस दौरान शारीरिक संबंध बनाना पूर्ण रूप से वर्जित है और जो भी इसका पालन नहीं करता उसे कड़ी सज़ा दी जाती है।

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कश्मीर में विशेष नियम: पीरियड के संबंध में कश्मीरियों के अपने विश्वास हैं। राज्य के नियम के अनुसार मासिक धर्म के दौरान महिला को अछूत नहीं माना जा सकता। बल्कि पूरा परिवार उसकी देखभाल करता है। कश्मीरियों के अनुसार जो महिला मासिक धर्म से गुज़र रही होती है उसकी सेवा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

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