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इन आदतों से आप भी होते है दो-चार तो आर्थिक परेशानी नहीं छोड़ेगी आपके द्वार

suman
Published on: 19 Sept 2018 9:57 AM IST
इन आदतों से आप भी होते है दो-चार तो आर्थिक परेशानी नहीं छोड़ेगी आपके द्वार
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जयपुर: जीवन में कुछ ऐसे कारण बताए गए हैं जो व्यक्ति के जीवन में आर्थिक परेशानी लाते हैं। अक्सर व्यक्ति जीवन में छोटी छोटी बातों को नकार देता है। कई बार गलत आदतें या छोटी सी लापरवाही के कारण मनुष्य गरीबी में जीने को मजबूर हो जाता है। इसलिए हमें उन आदतो के बारे में जानना चाहिए जो परेशानी पैदा करते है।

रसोई घर के पास में पेशाब करना । टूटी हुई कन्घी से कंगा करना । टूटा हुआ सामान उपयोग करना।घर में कूडा - कचरा रखना।रिश्तेदारो से बदसुलूकी करना।बांए पैर से पैंट पहनना। संध्या वेला मे सोना। मेहमान आने पर नाराज होना। आमदनी से ज्यादा खर्च करना। दाँत से रोटी काट कर खाना। चालीस दिन से ज्यादा बाल रखना । दांत से नाखून काटना। औरतों का खड़े खड़े बाल बांधना।छोटी छोटी बातों पर झूठ बोलना।फटे हुए कपड़े पहनना । सुबह सूरज निकलने तक सोते रहना। पेड़ के नीचे पेशाब करना। उल्टा सोना। श्मशान भूमि में हँसना ।पीने का पानी रात में खुला रखना ।रात में मांगने वाले को कुछ ना देना । बुरे ख्याल लाना। पवित्रता के बगैर धर्मग्रंथ पढना।शौच करते वक्त बाते करना। हाथ धोए बगैर भोजन करना ।अपनी सन्तान को कोसना।दरवाजे पर बैठना। लहसुन प्याज के छिलके जलाना। साधू फकीर को अपमानित करना। फूँक मार के दीपक बुझाना। ईश्वर को धन्यवाद किए बगैर भोजन करना। झूठी कसम खाना।

साधारण से दिखने वाली गाय को ना समझे सामान्य, उससे भी जुड़े हैं कई विधान

जूते चप्पल उल्टा देख कर उसको सीधा नही करना। हालात जनाबत मे हजामत करना। मकड़ी का जाला घर में रखना। रात को झाडू लगाना।अन्धेरे में भोजन करना। घड़े में मुंह लगाकर पानी पीना। धर्मग्रंथ न पढ़ना। नदी, तालाब में शौच साफ करना और उसमें पेशाब करना। गाय, बैल को लात मारना। माँ-बाप का अपमान करना। किसी की गरीबी और लाचारी का मजाक उडाना ।दाँत गंदे रखना और रोज स्नान न करना ।बिना स्नान किये और संध्या के समय भोजन करना । पडोसियों का अपमान करना, गाली देना ।मध्यरात्रि में भोजन करना । गंदे बिस्तर में सोना । हर-दम वासना और क्रोध से भरे रहना। दूसरे को अपने से हीन समझना आदि।

सर्वे भवन्तु सुखिनः ...हमारे धर्म शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य दूसरों का भला करता है, ईश्वर भी उसका भला करता है। इसलिए प्रतिदिन सबका, पूरे विश्व का भला सोचें, आपका भला स्वयं ही होगा।



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