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मुंबई का पहला एनकाउंटर, 21 पॉइंट में जानिए कौन था वो क्रिमिनल
मुंबई : आज हम आपको बताएंगे मुंबई के पहले एनकाउंटर की कहानी। इस कहानी का विलेन था मन्या सुर्वे। जिसका असली नाम था मनोहर अर्जुन सुर्वे।
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- मनोहर को सब मन्या कहते थे, इसलिए पुलिस रिकॉर्ड में भी उसका नाम मन्या सुर्वे ही दर्ज था।
- मन्या मुंबई में पैदा नहीं हुआ। लेकिन पला, पढ़ा और बड़ा मुंबई में। मुंबई के कीर्ति कॉलेज से बीए किया।
- मन्या को अपराध की दुनिया में उसका सौतेला भाई भार्गव दादा लाया।
- भार्गव दादर का नामी गुंडा था। भार्गव और उसके दोस्त मन्या पोधाकर के साथ मिलकर मन्या सुर्वे ने सन 1969 में एक मर्डर किया। इस हत्या के बाद तीनों गिरफ्तार हुए। मुकदमा चला और तीनों को आजीवन कारावास की सजा हुई।
- सजा के बाद उन्हें पुणे की यरवदा जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
- यरवदा जेल में उसने सुहास भटकर के पंटरों जमकर पीटा। आए दिन मारपीट से परेशान जेल प्रशासन ने उसे रत्नागिरी जेल भेज दिया।
- नाराज मन्या सुर्वे ने रत्नागिरी जेल में भूख हड़ताल कर दी।
- भूख हड़ताल की वजह से महज कुछ ही दिनों में जब उसका वजन 20 किलो गिर गया, तो उसे एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- मन्या ने इस मौके का फायदा उठाया और 14 नवम्बर 1979 को वह पुलिस को चकमा देकर अस्पताल से भाग लिया। वहां से फिर वह मुंबई आ गया।
- मुंबई आने के बाद उसने अपना गैंग बनाया। उसने अपने गैंग में धारावी के शेख मुनीर, डोंबिवली के विष्णु पाटील और मुंबई के उदय शेट्टी को रखा।
- इसके साथ ही दयानंद शेट्टी, परशुराम काटकर, मोरेश्वर नार्वेकर, किशोर सावंत जैसे कुख्यात डकैत गैंग में शामिल हुए।
- इस गैंग ने 5 अप्रैल 1980 को दादर में एक कार चुराई और फिर इस चोरी की कार में बैठकर करी रोड में लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी में 5 हजार 700 रुपये की लूट की। उस समय ये बड़ी रकम थी।
- इसके बाद इस गैंग ने धारावी के काला किला इलाके में उस शेख अजीज पर कातिलाना हमला किया, तो मन्या सुर्वे के दोस्त शेख मुनीर का दुश्मन था।
- इसके बाद गोवंडी में 1 लाख 26 हजार व सायन में कैनरा बैंक में करीब डेढ़ लाख रुपये की दिनदहाड़े लूट की। इसके बाद पुलिस पर उंगली उठने लगी।
- पुलिस ने सबसे पहले शेख मुनीर को जून, 1981 में कल्याण से पकड़ा। दयानंद शेट्टी और काटकर को गोरेगांव से गिरफ्तार किया गया।
- मन्या भिवंडी में छिप गया। जब पुलिस वहां पहुंची तो वो वहां से भाग निकला।
- 11 जनवरी, 1982 को वह वडाला में आंबेडकर कॉलेज के पास स्थित एक ब्यूटी पार्लर में अपनी गर्लफ्रेंड को लेने आया तो पुलिस अधिकारियों इशाक बागवान, राजा तांबट के साथ हुई पुलिस मुठभेड़ में मारा गया।
- पुलिस के मुताबिक उसकी महिला दोस्त विद्या जोशी पर निगाह रखकर ही पुलिस ने उसे 1982 में एक एनकाउंटर में मारा था।
- मुंबई पुलिस का मुंबई शहर में ये पहला एनकाउंटर बताया जाता है, जिसमें शामिल पुलिस वालों को मान्या सुर्वे को पकड़ने के नहीं बल्कि उसे ढेर कर देने के मौखिक आदेश मिले थे।
- यही वह पुलिस एनकाउंटर है जिसके बाद अंडरवर्ल्ड को अपने दुश्मनों को खत्म करने का एक नया हथियार मिला। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 1982 में मान्या सुर्वे के मारे जाने के बाद 2004 तक मुंबई में 662 कथित अपराधी पुलिस की गोलियों का शिकार बने।
- कुछ का ये भी कहना है कि पुलिस के बड़े अधिकारी दाउद और मन्या दोनों का एनकाउंटर करना चाहते थे लेकिन दाउद तो किसी तरह बच गया और पुलिस ने मन्या को मार गिराया।
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