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नाग पंचमी में नाग देवता की पूजा करने से पूरी होती है मनोकामना, जानें विधि
लखनऊ: हिंदू धर्म में नाग देवता को अहम महत्व दिया गया है। नाग देवता की पूजा करने का पर्व नाग पंचमी है। रविवार को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन नागों की पूजा करने से तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ज्योतिषाचार्य प्रभात जैन बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं।
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन धरती खोदने का कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए इस दिन भूमि में हल चलाना, नींव खोदना, शुभ नहीं माना जाता है। माना जाता है कि भूमि में नाग देवता का वास होता है। भूमि खोदने से नागों को कष्ट होता है, इसलिए दिन भूमि खुदाई नहीं की जाती है।
कैसे करें नाग पंचमी का पूजन
नाग पंचमी के दिन देवो के देव महादेव भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। प्रात: जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर प्रथम शिवलिंग का अभिषेक करें क्योंकि उन्होंने अपने गले में नागराज वासुकी को धारण किया हुआ है। फिर भगवान शंकर के सामने अथवा शिवलिंग पर सोना, चांदी या तांबे से निर्मित नाग नागिन के जोड़े को रखकर स्रान कराना चाहिए। गंगा जल व शुद्ध जल से स्रान कराना चाहिए। इसके बाद पीला चंदन, पुष्प, धूप दीप, खीर और दूब भी चढ़ाएं।
इसके बाद ‘ऊं कुरुकुल्य हुं फट स्वाहा’ मंत्र का जाप करें और नाग देवता की आरती उतारें। इसके अलावा भक्तिभाव से ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए। इस दिन पहले स्वयं मीठा भोजन करें, इसके बाद अपनी रुचि का भोजन करें। इस दिन द्रव्य दान करने वालों पर कुबेर जी की कृपादृष्टि बनी रहती है। मान्यता है कि अगर किसी जातक के घर में किसी सदस्य की मृत्यु सर्प दंश से हुई है तो उसे बारह माह तक पंचमी का व्रत करना चाहिए। व्रत के फल से जातत के कुल में कभी सांप का भय नहीं रहता है।
नाग पंचमी उपवास विधि
इस व्रत में पूरे दिन उपवास रखकर सूर्यास्त होने के बाद नाग देवता के लिए खीर के रुप में प्रसाद बनाया जाता है। उस खीर को सबसे पहले नाग देवता की मूर्ति अथवा शिव मंदिर में जाकर भोग लगाया जाता है। इसके बाद खीर को स्वयं ग्रहण किया जाता है। उपवास समाप्ति के पश्चात भोजन में नमक व तले हुए भोजन का प्रयोग वर्जित है।
काल सर्प दोष व नाग पंचमी
जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, वो जातक नाग पंचमी पर उपाय कर इससे मुक्ति पा सकते हैं। जब कुंडली में सभी ग्रहों को राहु ग्रास कर लेता है या जिस जात का जन्म सर्प योनि में हुआ है तो उस पर काल सर्प दोष लगता है।
काल सर्प दोष निवारण पूजन
108 राहु यंत्र नदी में विसर्जित करें, रूद्राभिषेक करवाएं एवं महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ऊं नम: शिवाय की 21 माला जाप करें और शिवलिंग पर श्रद्धापूर्वक बिल्व पत्र व गाय के दूध से अभिषेक करें। साथ ही तांबे का बना सर्प शिवलिंग पर समर्पित करें। बहते हुए जल में 11 नारियल प्रवाहित करें। घर पर चांदी का स्वातिक चिन्ह लगाएं। 24 मोर पंख लेकर उसकी एक झाडू बनाकर प्रतिदिन राहुकाल के समय जातक के शरीर पर झाड़ा लगाएं।