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हाथों में लगेगी मेहंदी, बजेगी शहनाई, अगर करेंगे मां के इस रूप की करें पूजा

suman
Published on: 25 Sept 2017 7:55 PM IST
हाथों में लगेगी मेहंदी, बजेगी शहनाई, अगर करेंगे मां के इस रूप की करें पूजा
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लखनऊ: मां दुर्गा के कात्यायिनी रूप को फलदायिनी भी कहा जाता है। महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर माता ने महिषासुर का वध किया था। इन्होंने शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक तीन दिन कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। नवरात्रि के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है।

इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। ये सिंह पर सवार, चार भुजाओं वाली और सुसज्जित आभा मंडल वाली देवी हैं। इनके बाएं हाथ में कमल और तलवार और दाएं हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा है।मां कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।

नवरात्रि के छठे दिन सूर्य भगवान की पूजा अर्चना करने का भी विशेष विधान है। मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करने से शुभ फल मिलता है , जो सरल और आसान है :

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम॥

हे मां! सर्वत्र विराजमान और कात्यायनी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे दुश्मनों का संहार करने की शक्ति प्रदान करें।

कवच मंत्र:

पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।

ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्य संदरी॥

कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥

कहते है कि भगवती कात्यायनी का ध्यान, स्तोत्र और कवच के जाप करने से आज्ञाचक्र जाग्रत होता है। इससे रोग, शोक, संताप, भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही जिनके विवाह में विलंब होता है उनकी भी शादी हो जाती है।



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