×

मां के 8 वें रूप की पूजा से मिलता है गौर वर्ण का वरदान, होती है सुहाग की रक्षा

suman
Published on: 8 Oct 2016 6:00 AM GMT
मां के 8 वें रूप की पूजा से मिलता है गौर वर्ण का वरदान, होती है सुहाग की रक्षा
X

लखनऊ: शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं । नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है । ये शिवजी की अर्धांगिनी है । कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाया था । देवी का शरीर बहुत गोरा है । इसलिए इन्हें महागौरी कहते हैं। महागौरा के वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरी की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशूल है और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन वृष है ।

ये भी पढ़ें...मां के 7वें रूप की उपासना से नहीं बनते काल के ग्रास, जीवन में आता है प्रकाश

मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती के शरीर को गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं । अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति की वृद्धि होती है।

ये भी पढ़ें...क्यों मनाते हैं शारदीय नवरात्र, किसने की थी पहली बार मां दुर्गा की आराधना?

ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पाप धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी की उपासना और आराधना करना कल्याणकारी होता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां के पूजन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

suman

suman

Next Story