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एस्ट्रो : क्या एक महीने में तीन ग्रहण किसी बड़े भूकंप की पूर्व सूचना हैं ?
सहारनपुर: इस साल कुल मिला कर 5 ग्रहणों का योग बनता है जिसमें से 31 जनवरी चंद्र ग्रहण , 15/ 16 फरवरी सूर्यग्रहण , 13 जुलाई सूर्यग्रहण घटित हो चुके हैं । अब केवल 27/ 28 जुलाई को सबसे लंबा चंद्रग्रहण तथा 11 अगस्त को सूर्य ग्रहण लगेंगे। यहां ज्योतिषीय दृष्टि से विचारणीय प्रशन है कि 13 जुलाई से लेकर 11 अगस्त के मध्य तीन ग्रहण पड़ रहे हैं। इन लगातार 3 ग्रहणों का फलित क्या है ?
चंडीगढ़ के ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू बताते हैं कि ज्योतिषीय नियमों के अनुसार ,ग्रहण लगने के 41 दिन पहले व 41 दिन बाद तक भूकंप आने की प्रबल संभावना रहती है। दूसरे ज्योतिषीय नियम के अनुसार जब भी मंगल या शनि ब्रहमांड में एक दूसरे से 180 डिग्री दूर होंगे या ये एक दूसरे की राशि में होंगे या उनकी आपस में एक दूसरे पर दृष्टि होगी तो भी भूकंप अवश्यंभावी हो जाते हैं।भूकंप की संभावना तब और बढ़ जाती है जब सूर्य नीच राशि तुला में हो। इसके अलावा जब कोई बड़ा ग्रह राशि परिवर्तन करता है या वक्री अथ्वा मार्गी होता है तब भी धरती कहीं न कहीं डगमगाने लगती है।
यदि इस साल के अंतिम ग्रहण से हम गणना करें तो 10 सितंबर तक की अवधि में सुनामी, भूकंप जैसी बड़ी आपदा आ सकती है क्योंकि एक मास में तीन ग्रहण आपदा का ही संकेत देते हैं। इस वर्ष का राजा सूर्य और मंत्री शनि है तथा 2018 चंद्रकारक होने से जल द्वारा विनाश की संभावना को अधिक दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि 6 सितंबर को शनि मार्गी होगा। यदि आप इतिहास में भूकंपीय आंकड़े या विनाशकारी तारीखें ढूंढें तो आपको 26 तारीख अवश्य नजर आएगी।
चीन ,जापान,ताईवान, युगोस्लाविया, ईरान, अफगानिस्तान, पुर्तगाल भारत में गुजरात, नेपाल आदि में सुनामी जैसी आपदाओं की तारीखें हमेशा 26 रही हैं। गत सालों मे 26 अप्रैल को नेपाल हिल गया तो 26 अक्टूबर को पाकिस्तान और उत्तरी भारत । सुनामी भी 26 दिसंबर,2004 को आई थी। अंक 8 शनि का अंक है। इस साल का मंत्री शनि है। भूकंपों का कारण शनि की गति रही है। आस पास ग्रहण लगे हों या कोई बड़ा ग्रह अपनी गति बदल रहा हो, धरती का आंतरिक संतुलन अवश्य बिगड़ जाता है। अतः अगस्त व सितंबर तक भूकंपों, बाढ़ों, सुनामी आदि की आशंका बनी रहेगी। आने वाले महीनों में 17, 26 जैसी तिथियों में अधिक सावधान रहना चाहिए। मोदी जी का भी नंबर 8 है, प्रधानमंत्री पद की शपथ भी 26 मई को ली थी और अपना तो गणतंत्र भी 26 जनवरी का है।
हमें सागर के तटीय क्षेत्रों एवं हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों उत्तरा खंड, उत्तर पूर्वी खंड में सावधान रहना चाहिए। भूकंपों की पुनरावृति ऐसी ग्रह स्थिति में संभावित रहती हैं। देश के चार बड़े सस्थानों ने भी 2004 से लेकर 2013 तक आए 423 भूकंपों का अध्ययन करने के बाद अनुमान लगाया है कि इस वर्ष 8 से अधिक तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। इन संस्थानों में वाडिया इस्टीटयूट देहरादून, हैदराबाद, केरल तथा आई आई टी खड़गपुर के वैज्ञानिक शामिल हैं। भूकंप कब और कहां आएगा , इस बारे कोई भी वैज्ञानिक सटीक भविष्यवाणी देने में अस्मर्थ है परंतु ज्योतिष इसका कुछ अनुमान लगा सकता है। आठवें तथा नौवें महीने में , 8,17,26 जैसी कोई तिथि हो सकती है भूकंप की । अतः इन दिनों के आस पास हिमालयन प्रदेशों में आपदा प्रबंधन को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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