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शनिवार 17 सितंबर से शुरू होगा पितृ पक्ष, जानें क्या है महत्व

suman
Published on: 14 Sept 2016 4:37 PM IST
शनिवार 17 सितंबर से शुरू होगा पितृ पक्ष, जानें क्या है महत्व
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लखनऊ: पितृ पक्ष या कहे श्राद्ध पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। अपने पितर,भगवान, परिवार और वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना श्राद्ध है। इसे पितृ पक्ष के नाम से भी जानते है। इसबार श्राद्धपक्ष 15 दिन की जगह 14दिन का ही रहेगा, क्योंकि 19 सितंबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ हैं। धर्मानुसार श्राद्ध पक्ष के लिए 15 दिन बने हैं ताकि हम अपने पूर्वजों को याद करें और उनका तर्पण करवा कर उन्हें शांति और तृप्ति दें। ऐसा करने उनका आशीर्वाद सदा बना रहता है।

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पंचांगनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष होता है। इस बार श्राद्ध पक्ष 16 सितंबर, 2016 को (पूर्णिमा,शुक्रवार) चंद्र ग्रहण से हो रहा है, जिसकी समाप्ति 30 सितंबर ,(अमावस्या,शुक्रवार) को होगा। श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध,तर्पण, पिंडदान इत्यादि किया जाता है।

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अगर तिथि ना हो मालूम तो करें इस दिन श्राद्ध

ऐसा कहा जाता है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में हमारे पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने हिस्से का भाग निश्चय ही किसी न किसी रुप में ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि सभी पितर इस समय अपने वंशजों के घर में आकर अपने हिस्से का भोजन ग्रहण करते है। यहां पितरों से अभिप्राय ऐसे सभी पूर्वजों से है जो अब हमारे साथ नहीं है लेकिन श्राद्ध के समय वो हमारे साथ जुड़ जाते हैं और हम उनकी आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध कर के अपनी श्रद्धा भक्ति को उनके प्रति प्रकट करते हैं । जिसे श्राद्ध की तिथि याद ना उसे अमावस्या को श्राद्ध करना चाहिए।

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श्राद्ध का महत्व

गरुड़ पुराण के अनुसार श्राद्धकर्म से संतुष्ट होकर पितर हमें आयु, विद्या, यश,बल, पुत्र,स्वर्ग, वैभव,पशु, सुख, धन और धान्य की वृद्धि करते हैं। कुर्म पुराण के अनुसार ‘जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से रहित होकर मुक्त हो जाता है और पुनः इस भव चक्र में नहीं आता।

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मार्कण्डेय पुराणानुसार ‘श्राद्ध से खुश होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, धन, विद्या सुख, सन्तति,राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं। इसी तरह से अन्य पुराणों में भी श्राद्ध कर्म के संबंध में कहा गया है कि पितरों की मृत्यु तिथि को सर्वसुलभ जल, तिल, यव, कुश, फूल आदि से श्राद्ध करना चाहिए और अपने ऊपर के ऋण से उऋण हो जाना चाहिए।

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जानते है 2016 के श्राद्ध कर्म की तिथि

पूर्णिमा श्राद्ध 2016 सितम्बर 16 शुक्रवार

प्रतिपदा श्राद्ध 2016 सितम्बर 17 शनिवार

द्वितीय श्राद्ध 2016 सितम्बर 18 रविवार

तृतीय श्राद्ध 2016/चतुर्थी श्राद्ध 2016 सितम्बर 19 सोमवार

पंचमी श्राद्ध 2016 सितम्बर 20 मंगलवार

षष्ठी श्राद्ध 2016 सितम्बर 21 बुधवार

सप्तमी श्राद्ध 2016 सितम्बर 22 वृहस्पतिवार

अष्टमी श्राद्ध 2016 सितम्बर 23 शुक्रवार

नवमी श्राद्ध 2016 सितम्बर 24 शनिवार

दशमी श्राद्ध 2016 सितम्बर 25 रविवार

एकादशी श्राद्ध 2016 सितम्बर 26 सोमवार

द्वादशी श्राद्ध 2016 सितम्बर 27 मंगलवार

त्रयोदशी श्राद्ध 2016 सितम्बर 28 बुधवार

चतुर्दशी श्राद्ध 2016 सितम्बर 29 वृहस्पतिवार

सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध 2016 सितम्बर 30 शुक्रवार



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