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आर्डर लेना भूल जाओ, अब तो आर्डर देने की बारी है,दोस्त की ये बात सुन रो पड़ा ये वेटर !
अक्सर आपने लोगों को बोलते सुना होगा होंसले बुलंद हो और इरादे पक्के हो तो पानी में भी आग लगाई जा सकती है.इस मुहावरे को सच कर दिखाया तमिलनाडु के जयगणेश ने जिन्होंने अपने परिश्रम और लगन से वेटर से IAS अफसर तक तय किया।वेल्लोर जिले के विनावमंगलम गांव के एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जयगणेश ने साबित कर दिया की कामयाबी अमीरों की नहीं बल्कि मेहनत और लगन की मोहताज है।
चेन्नई : वेटर ! वन कॉफी प्लीज...जी सर !हर रोज़ कुछ इसी तरह अपने गेस्ट्स और कस्टमर्स के ऑर्डर्स सुनते और उनकी फरमाइशें पूरी करने वाले जयगणेश ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी उम्मीद उसे खुद को भी नहीं थी।अक्सर आपने लोगों को बोलते सुना होगा होंसले बुलंद हो और इरादे पक्के हो तो पानी में भी आग लगाई जा सकती है।इस मुहावरे को सच कर दिखाया तमिलनाडु के जयगणेश ने जिन्होंने अपने परिश्रम और लगन से वेटर से IAS अफसर तक तय किया।वेल्लोर जिले के विनावमंगलम गांव के एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जयगणेश ने साबित कर दिया की कामयाबी अमीरों की नहीं बल्कि मेहनत और लगन की मोहताज है।
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तमिलनाडु के एक छोटे गांव के जयगणेश एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है। उन्हें बचपन से ही पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था.वो पढ़ लिख कर अपने घरवालों रोशन करना चाहते थे और इस गरीबी को भी दूर करना चाहते थे,मगर पैसों की कमी के चलते वो ज़्यादा पढ़ ना सके। घर का खर्च चलाने के लिए वो एक छोटे से रेस्टोरंट में वेटर का काम करने लगे।हाथ में पैसा क्या आया मानो उनके सपनों के पंख लग गए हो.फिर क्या था,हर महीने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अपनी पढ़ाई को देने लगे.नौकरी के साथ-साथ वो IAS की तैयारी में जुट गए.कई सालों की महनत आखिरकार रंग लाई और वो सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफल रहे।
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जब दोस्त ने रेस्टोरंट में आकर दी ये खुशखबरी तो छलक गए आंसू
वो दिन जयगणेश भुलाये नहीं भूलता।उस दिन सिविल सर्विसेज का रिजल्ट आने वाला था।जयगणेश रोज़ की तरह रेस्टोरंट में आर्डर ले रहे थे,तभी अचानक से उसका दोस्त आया और ख़ुशी से चिल्लाता हुआ उसको अपने कंधे पर उठा लिया।जब जयगणेश ने उससे पूछा की क्या हुआ तो उसने बड़े ख़ुशी से कहा 'तुम अब वेटर नहीं रहे ,साहब बन गए हो। लो मुंह मीठा करो। अब तो तुम्हारा आर्डर चलेगा, तुम्हारी फरमाइश चलेगी। जैसे ही दोस्त ने यह खुशखबरी सुनाई जय अपने आंसू नहीं रोक सके।अखबार में अपनी फोटो देखकर वो कुछ यूं खुश हुए जैसे मानो एक बच्चे को उसका खोया हुआ खिलौना मिल गया हो।