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कहीं आप भी तो नहीं जन्मे राक्षस गण में तो जान लीजिए कैसे हैं आप?
जयपुर: ज्योतिष शास्त्र में हर मनुष्य को तीन गणों में बांटा गया है। वो तीन गण हैं देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण। गण के आधार पर मनुष्य का स्वभाव और उसका चरित्र भी बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र में जन्म के समय मौजूद नक्षत्रों की भूमिका बहुत बड़ी होती है। किस ग्रह के अंतर्गत जन्में हैं, किस राशि के अधीन आते हैं और आपके जन्म का नक्षत्र क्या था, ये बात आपके पूरे जीवन की रूप रेखा खींच देती है। ऐसे ही जन्म के समय मौजूद नक्षत्रों के आधार पर व्यक्ति का गण निर्धारित है...
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देव गण में जन्म लेने वाला मनुष्य कोमल हृदय का, परोपकारी, दानी, बुद्धिमान एवं कम खाने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति के विचार बहुत उत्तम होते हैं, वह अपने से पहले दूसरों का हित सोचता है।
वहीं जिन लोगों का जन्म मनुष्य गण से होता है उनके नेत्र बड़े-बड़े होते हैं, वे धनवान होते हैं, साथ ही वह समाज में काफी सम्मान पाते हैं और लोग उसकी बात को ऊपर रखकर चलते हैं।
राक्षस गण में अधिकतर लोगों का नाम सुनकर ही डर बैठ जाता हैं। बहुत से लोग जब अपनी कुंडली चेक करवाएंगे तो गण भी राक्षस ही आएगा लेकिन इसमें भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि यह भी अन्य दोनों गणों की तरह ही एक गण मात्र ही है, लोग इसे इसके नाम के कारण गलत अर्थों में लेकर भ्रांतियां गढ़ने लगते हैं जोकि कदापि सही नहीं है।
हमारे आसपास कई तरह की शक्तियां मौजूद होती हैं, उनमें से कुछ नकारात्मक होती हैं तो कुछ सकारात्मक। ज्योतिष विद्या के अनुसार जिन लोगों का जन्म राक्षस गण में होता है वह अपने आसपास मौजूद नकारात्मक शक्तियों को पहचान लेते हैं। उन्हें बुरी शक्तियों का आभास दूसरों से अपेक्षाकृत जल्दी हो जाता है। मतलब राक्षस गण के जातकों की छठी इन्द्री यानि कि सिक्स्थ सेंस ज्यादा बेहतर तरीके से कार्य करता है और वो इतनी क्षमता भी रखते हैं कि जब उनके सामने हालात नकारात्मक होते हैं तो वे भयभीत होने की बजाय उन हालातों का सामना करते हैं। राक्षस गण के जातक साहसी और मजबूत इच्छाशक्ति वाले होते हैं, उनके जीने का तरीका बिलकुल अलग होता है।
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