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इस किताब से फिर पलटे गुजरात के पन्ने, फाइल्स से निकाले राज

suman
Published on: 23 Aug 2016 8:52 AM GMT
इस किताब से फिर पलटे गुजरात के पन्ने, फाइल्स से निकाले राज
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लखनऊ: गुजरात फाइल्स की राइटर राणा अय्यूब ने पत्रकारों से बात करते हुए, कई अनसुलझी गांठें खोलते हुए स्टिंग ऑपरेशन और किताब छापने तक के सफर पर चर्चा की। इसमें गुजरात के कई वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओ के स्टिंग ऑपरेशन है।

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मोदी और अमित शाह के खिलाफ है कई सबूत

गुजरात में राणा अय्यूब ने 2010 में करीब 8 महीने तक अंडरकवर के तौर पर ऐसे कई बड़े पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियो का स्टिंग करते हुए उनके बयान गुप्त रूप से रिकार्ड किए थे, जो 2001 से 2010 के बीच सूबे के अहम पदों पर तैनात थे। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह का भी स्टिंग किया ।

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इन बयानों के आधार पर राणा ने गुजरात दंगो, इशरत जहां और फ़र्ज़ी एनकाउंटर ,गृहमंत्री हरेन पांड्या मर्डर में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके विश्वासपात्र मंत्री अमित शाह के शामिल होने की बात कही है।

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किताब को सामने लाने पर सभी मीडिया हाउस ने किया इनकार

न्यूज़ट्रेक से बात करते हुए अय्यूब ने कहा तहलका की तरफ से उन्होंने पहले भी कई स्टिंग किए है। जिनमें सोहराबुद्दीन मामले में अमितशाह को जेल होनेा भी शामिल है, लेकिन गुजरात दंगों के सच को उजागर करने वाले इस स्टिंग को खुद तहलका ने सामने लाने से मना कर दिया। यही नहीं इस सच को जनता के सामने लाने के लिए अय्यूब ने जब मीडिया हॉउस से बात की तो सबने उनका साथ देने से इनकार किया।

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गुजरात में दलित उत्पीडन का दर्द

ये किताब गुजरात में दलित उत्पीड़न और भेदभाव के तथ्य को भी सामने लाती है। किताब में शामिल इंटरव्यू में कई दलित और पिछड़े अफसरों ने अपने दर्द को साझा किया है। कि कैसे सरकार के उनसे गलत काम करवाने के बाद उन्हें अलग कटघरे में खड़ा कर देती थी।

किसी राजनैतिक दल में नहीं होगी शामिल

चुनाव से थोड़े दिन पहले अपनी किताब लोगों के सामने लाने की बात पर उनका कहना था कि अगर उन्हें पहले मदद मिली होती तो उनकी किताब पहले ही मार्केट में आ गई होती। उन्होंने कहा इस किताब में लेखिका के तौर पर उन्होंने अपनी तरफ से कुछ नहीं लिखा, बल्कि स्टिंग हुए लोगों के शब्दों को ही लिखा है।

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उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने से इनकार करते हुए ये साफ कर दिया कि इसका उद्देश्य गुजरात दंगों का सच लोगों के सामने लाना था। उनका कहना है कि इस किताब के आने के बाद उन्हें आलोचना के दौर से भी गुजरना पड़ रहा है। अगर इसमें छपी बातों पर निष्पक्ष जांच करके कार्यवाई हो तो देश की पूरी राजनीति बदल जाएगी।

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