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10 साल बाद इस गांव में लगेगी रावण की मूर्ति, साथ में रहेंगे श्रीराम

Newstrack
Published on: 3 Aug 2016 5:52 PM IST
10 साल बाद इस गांव में लगेगी रावण की मूर्ति, साथ में रहेंगे श्रीराम
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नोएडा: 11 अगस्त को ग्रेटर नोएडा के बिसरख धाम (रावण के मंदिर) में लंकापति रावण और श्रीराम के मूर्ति लगाई जाएगी। ये दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है जहां श्रीराम और रावण साथ में होंगे। मंदिर ट्रस्ट का भी दावा है ये अपने आप में ऐसा पहला मंदिर होगा। जहां रावण के साथ-साथ भगवान श्रीराम के मूर्ति की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

5 साल में हुआ तैयार

श्री मोहन मंदिर योग आश्रम ट्रस्ट और महात्मा रावण मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष अशोकानंद जी महाराज ने बताया मंदिर का निर्माण पिछले 5 साल से किया जाए रहा था। अब मंदिर के साथ मूर्तियां भी बन कर तैयार हैं।

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रावण के पिता की है तपोस्थली

कहा जाता है कि ऋषि विश्रवा की तपोस्थली है बिसरख । यही रावण का जन्म भी हुआ था। वेद पुराणों के अनुसार ऋषि विश्रवा उनकी तपोस्थली को शिव नगरी भी कहा जाता है। बिसरख धाम में रावण ने अष्टभुजी शिवलिंग स्थापित किया है, इस तरह का शिवलिंग विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा। लंकापति रावण बचपन से ही शिव भक्त थे। उन्होंने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली भी स्वयं रचना की।

आज भी रावण के खौफ में जीता है ये गांव

मान्यताओं के अनुसार बिसरख गांव रावण का पैतृक गांव है। यहां रावण मंदिर के साथ प्राचीन शिव मंदिर भी है। वहां के महंत रामदास बताते हैं, रावण के पिता विश्रव ब्राह्मण थे। उन्होंने राक्षसी राजकुमारी कैकसी की। जब पूरा देश अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में रावण के पुतले का दहन करता है, तब इस गांव में खुशी का माहौल नहीं होता है। बिसरख गांव के लोग न रामलीला आयोजित करते हैं और न कभी रावण का दहन करते हैं। बल्कि दशहरा पर यहां शोक मनाया जाता है।

जब रामलीला का हुआ आयोजन हुई मौत

महंत रामदास का कहना है। 60 साल पहले इस गांव में पहली बार रामलीला का आयोजन किया गया था। रामलीला के बीच में जिस व्यक्ति के घर आयोजन हुआ उसी का बेटा मर गया। कुछ समय बाद गांववालों ने फिर से रामलीला रखी। इस बार उसमें हिस्सा लेने वाले एक पात्र की मौत हो गई। तब से ही यहां दशहरा पर रावण का पुतला नहीं जलता, न रामलीला होती है। यहां रावण की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ-हवन किए जाते हैं। साथ ही नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर बलि चढ़ाई जाती है।

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8 फिट का है शिवलिंग

पौराणिक काल की शिवलिंग बाहर से देखने में महज 2.5 फीट की है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी लंबाई लगभग 8 फीट है। इस गांव में अब तक 25 से ज्यादा शिवलिंग मिले हैं। जिनमें से एक की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि खुदाई के दौरान त्रेता युग के नरकंकाल, बर्तन और मूर्तियों के अलावा कई अवशेष मिले हैं।

क्या होगा खास?

बिसरख के ऐतिहासिक शिव मंदिर का नए सिरे से निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर का बजट लगभग 2 करोड़ रुपए का है। यहां रावण की 5.5 फीट ऊंची मूर्ति के अलावा 42 फीट ऊंचे शिवलिंग को स्थापित करने की तैयारी हो रही है। रावण की मूर्ति जयपुर से बनवाई गई है। कहा जाता है कि यहां 10 साल से ये मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी है। यहां के निवासी शिव मंदिर को ही रावण का मंदिर कह कर पूजा करते हैं। यहां की दीवारों पर रावण के पिता की आकृति भी बनी हुई है।



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