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ऋषि पंचमी व्रत को करने से नारी के पाप हो जाते हैं दूर, जानें इसके बारे में

suman
Published on: 5 Sep 2016 5:01 AM GMT
ऋषि पंचमी व्रत को करने से नारी के पाप हो जाते हैं दूर, जानें इसके बारे में
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लखनऊ: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस साल ऋषि पंचमी व्रत 6 सितंबर 2016 को है। ऋषि पंचमी का व्रत सभी के लिए फल दायक होता है। इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आज के दिन ऋषियों का पूर्ण विधि-विधान से पूजन करना चाहिए और कथा श्रवण सात्विक मन से करने का महत्व है। ये व्रत पापों का नाश करने वाला और श्रेष्ठ फलदायी है।

यह व्रत और ऋषियों के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता, समर्पण और सम्मान की भावना को प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण आधार बनता है। इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं। ऋषियों की पूजा करने के बाद कहानी सुनी जाती हैं, उसके बाद एक समय फलाहार लेते हैं। महिलाएं जब माहवारी से होती हैं तब गलती से कभी मंदिर में चली जाती हैं या कभी पूजा हो तो वहां चली जाती हैं तो उसका दोष लगता हैं । उस दोष को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता हैं।

कहीं-कहीं इसी दिन बहने भी अपने भाइयो की सुख और लम्बी उम्र की कामना के लिए व्रत और पूजा करती हैं ।कई जगह बहने भाइयों को इस दिन भी राखी बाँधती है। हरी घास जो 5 तोड़ी की होती हैं, उसे लेकर 5 भाई बनाते हैं और एक बहन बनाते हैं । भाई को सफेद कपड़े में और बहन को लाल कपड़े में लपेटते हैं । चावल बनाकर इन पर चढ़ाते हैं । फिर उसकी पूजा करते हैं और कहानी सुनते हैं ।

rishi-panchami

ज्योतिषाचार्य सागर जी महाराज के अनुसार एक समय विदर्भ देश में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी के साथ निवास करता था। उसके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री थी। ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह अच्छे ब्राह्मण कुल में कर देता है परंतु काल के प्रभाव स्वरुप कन्या का पति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है, और वह विधवा हो जाती है और अपने पिता के घर लौट आती है। एक दिन आधी रात में लड़की के शरीर में कीड़े उत्पन्न होने लगते है़।

अपनी कन्या के शरीर पर कीड़े देखकर माता-पिता दुख से व्यथित हो जाते हैं और पुत्री को उत्तक ॠषि के पास ले जाते हैं। अपनी पुत्री की इस हालत के विषय में जानने की प्रयास करते हैं। उत्तक ऋषि अपने ज्ञान से उस कन्या के पूर्व जन्म का पूर्ण विवरण उसके माता-पिता को बताते हैं और कहते हैं कि कन्या पूर्व जन्म में ब्राह्मणी थी और इसने एक बार रजस्वला होने पर भी घर-बर्तन इत्यादि छू लिये थे और काम करने लगी। बस इसी पाप के कारण इसके शरीर पर कीड़े पड़ गये हैं।

शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री का कार्य करना निषेध है। परंतु इसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और इसे इसका दण्ड भोगना पड़ रहा है। ऋषि कहते हैं कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी का व्रत करें और श्रद्धा भाव के साथ पूजा और क्षमा प्रार्थना करें तो उसे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी। इस प्रकार कन्या द्वारा ऋषि पंचमी का व्रत करने से उसे अपने पाप से मुक्ति प्राप्त होती है।

ऋषि पंचमी पूजन का मुहूर्त

भादो माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी 06 सितम्बर 2016 को है । इस दिन सुबह 11 : 06 से लेकर दोपहर 01:33 तक इसका पूजन करने का उत्तम समय है।

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