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शनि ने वक्री होकर किया वृश्चिक में गोचर, क्या पड़ेगा राशियों पर प्रभाव

suman
Published on: 21 Jun 2017 2:52 PM IST
शनि ने वक्री होकर किया वृश्चिक में गोचर, क्या पड़ेगा राशियों पर प्रभाव
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लखनऊ: शनि न्याय और अनुशासन प्रिय ग्रह हैं। शनि गोचर, साढ़ेसाती और महादशा का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। क्योंकि इसके प्रभाव से मनुष्य के जीवन में बड़े बदलाव होते हैं। हालांकि ये परिवर्तन सुखद और दुखद दोनों हो सकते हैं। इसका फल आपकी राशि और कुंडली में शनि की चाल और स्थिति से तय होता है।

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21 जून बुधवार को शनि पुन: वृश्चिक राशि में प्रवेश कर गए है । इसके बाद दोबारा 26 अक्टूबर गुरुवार को धनु राशि में प्रवेश करेगा। 4 दिसंबर सोमवार को सूर्य के निकट होने से शनि ग्रह का प्रभाव कम हो जाएगा और यह 8 जनवरी2018 सोमवार तक इसी अवस्था में रहेगा। शनि ग्रह के इस संचरण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। हालांकि प्रत्येक राशि पर इसका असर भिन्न-भिन्न होगा।

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मेष: मेष राशि वाले जातकों के लिए शनि देव दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। 10वां भाव नौकरी, व्यवसाय और कर्म को दर्शाता है जबकि 11वां भाव आमदनी, लाभ और सफलता को दर्शाता है। 26 जनवरी को शनि का गोचर धनु राशि में होगा। इस दौरान शनि का गोचर मेष राशि से नौंवे भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप करियर की शुरुआत थोड़ी धीमी होगी। कार्य स्थल पर तनाव और चुनौती का सामना करना पड़ेगा इसलिए हर परिस्थिती में धैर्य बनाए रखें। जून तक आपके करियर की रफ्तार सुस्त रहेगी। जून से लेकर अक्टूबर तक का समय कष्टकारी रहेगा। क्योंकि आय और करियर से जुड़ी परेशानी देखने को मिलेगी। जब शनि वक्रीय गति करते हुए आपके आठवें भाव में प्रवेश करेगा। उस वक्त आपको अपने धैर्य की परीक्षा देनी होगी इसलिए कठिन परिश्रम और प्रयास जारी रखें। आपके भाई-बहनों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें। अक्टूबर के आखिरी में शनि दोबारा नौंवे भाव में स्थित होगा। इस समय में आप विरोधियों पर हावी होंगे और वे आपसे सुलह करने की कोशिश करेंगे। पहले से चली आ रही परेशानियां व तनाव दूर होगा और आप सुकून महसूस करेंगे।

उपाय: काली गाय को घी लगी रोटी खिलायें।

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वृषभ: वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नौंवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। ये भाव भाग्य, कर्म, पेशा और शोहरत को दर्शाते हैं। साल 2017 में शनि का गोचर वृषभ राशि से आठवें भाव में होगा। इस दौरान आपके पिता के स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है। रिश्तों में कड़वाहट आ सकती है इसलिए संयमित भाषा बोलें और विवाद की स्थिति से बचने की कोशिश करें। भाग्य कभी आपका साथ देगा तो कभी निराशा हाथ लग सकती है। सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत और सार्थक प्रयास करने होंगे। पुरानी बीमारी परेशान कर सकती है इसलिए सेहत को लेकर लापरवाही नहीं बरतें। इस साल शनि देव आपकी कड़ी परीक्षा लेंगे। परिजनों, बच्चों और दोस्तों के साथ रिश्तों को बनाए रखने के लिए अथक प्रयास करने होंगे और सभी को साथ लेकर चलना होगा। करियर के लिहाज से जून से अक्टूबर तक का समय बेहद अच्छा है। क्योंकि वक्रीय गति के दौरान शनि का गोचर आपके सातवें भाव में होगा। इस दौरान आपको बेहतरीन अवसर मिलेंगे। हालांकि इसके बाद शनि के दोबारा वक्रीय गति करते हुए आठवें भाव में लौटने से आपको किसी बुरे अनुभव का सामना करना पड़ सकता है जो एक बड़ी रूकावट पैदा करेगा।

उपाय: काले कपड़े और जूतों का दान करें।

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मिथुन: मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि देव आठवें और नौंवे भाव के स्वामी हैं। इनमें आठवां भाव किसी बड़े परिवर्तन,दीर्घायु को दर्शाता है जबकि नौंवा घर भाग्य और शोहरत से संबंधित है। इस वर्ष शनि का गोचर मिथुन राशि से सातवें भाव में होगा। इसके फलस्वरूप इस वर्ष आपको मिश्रित परिणाम मिलेंगे। कठिन परिश्रम की बदौलत कार्य स्थल पर मान-सम्मान में वृद्धि होगी। हालांकि दांपत्य जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती हैं। जून की शुरुआत से अक्टूबर के बीच वक्रीय शनि का गोचर छठवें भाव में होगा। इस समय किसी विवाद को लेकर अदालती केस में फैसला आपके पक्ष में होगा। अक्टूबर 2017 के आखिरी में शनि वक्रीय गति करते हुए सातवें भाव में लौटेगा। इस दौरान भाग्य आपका साथ देगा। इस वर्ष आपको कई शुभ समाचार मिलेंगे। आप लगातार सफलता प्राप्त करेंगे। माता जी के स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है लेकिन नियमित देखरेख करने से उनकी हालत सामान्य हो जाएगी। इस वर्ष किसी नई जगह पर बसने के बारे में सोच सकते हैं। आपका सामाजिक दायरा बढ़ेगा और वातावरण में बदलाव होगा। उपाय: मध्य अंगुली में काले घोड़े की नाल पहनें।

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कर्क: कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सातवें और आठवें भाव का स्वामी है। इनमें सातवां घर पत्नी और साझेदारी से जुड़ा है जबकि आठवां भाव किसी बड़े परिवर्तन और दीर्घायु से संबंधित है। इस वर्ष शनि का गोचर कर्क राशि से छठवें भाव में होगा। इस दौरान परिवार के साथ किसी मुद्दे पर मतभेद हो सकते हैं। जीवन साथी के साथ विवाद बढ़ेगा। अगर आपने सूझबूझ के साथ काम नहीं लिया तो हालात बिगड़ सकते हैं। जून से अक्टूबर के बीच शनि का गोचर पांचवें भाव में होगा। रिश्तों पर किसी भी विवाद को हावी नहीं होने दें। बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। पढ़ाई में रुकावट और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। अक्टूबर के अंत में शनि वक्रीय गति करते हुए छठवें भाव में प्रवेश करेगा। इस समय परिजनों की बातें ध्यान से सुनें और फिर अपनी राय जाहिर करें। कानूनी विवाद में उलझ सकते हैं हालांकि अंत में जीत आपकी ही होगी। कोई पुरानी बीमारी दोबारा आप पर हावी हो सकती है इसलिए सेहत का खास ख्याल रखें। विदेश यात्रा पर जा सकते हैं साथ ही छुट्टियां मनाने के लिए भी बाहर का रूख कर सकते हैं। भाई-बहनों को वक्त दें और उनके साथ स्नेह का भाव रखें। दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ वक्त गुजारें।

उपाय: पक्षियों को सात तरह के अनाज और दाल खिलायें।

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सिंह: सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठवें और सातवें भाव का स्वामी है। छठवां घर संघर्ष, शत्रु और बीमारियों से संबंधित है वहीं सातवां भाव पत्नी और साझेदारी से जुड़ा जैसे-जैसे वक्त गुजरेगा वैसे-वैसे प्यार बढ़ता जाएगा। आमदनी में बढ़ोतरी होगी और कार्य स्थल पर सम्मान और शोहरत मिलेगी। स्वयं पर गर्व महसूस करेंगे। इस दौरान आप नौकरी छोड़ने के बारे में भी सोच सकते हैं। चौथे भाव में शनि के गोचर करने की वजह से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। छोटे-मोटे झगड़े और विवादों की वजह से पारिवारिक रिश्ते कमज़ोर होंगे। अक्टूबर में शनि का गोचर पांचवें भाव में होगा। इसके फलस्वरूप स्थिर आय होने के बावजूद आपको आर्थिक मोर्चे पर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए संयम रखें और बेवजह पैसा खर्च ना करें। इस साल वित्तीय प्रबंधन पर ध्यान देना होगा। बैंक या अन्य संस्था से लिया हुआ लोन चुकता हो जाएगा।

उपाय: पीपल के पेड़ के नीचे सरसो तेल का दिया लगाएं।

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कन्या: शनि आपकी राशि में पांचवें और छठवें भाव के स्वामी है। पांचवां भाव शिक्षा और बच्चों से संबंधित है जबकि छठवां भाव संघर्ष, शत्रु और रोग के बारे में दर्शाता है। शनि का गोचर कन्या राशि से पांचवें भाव में होगा। इस दौरान आप अपना निवास स्थान बदलने और किसी नई जगह पर शिफ्ट होने के बारे में सोच सकते हैं। आप किसी पर अत्याधिक क्रोधित हो सकते हैं इसलिए गुस्से पर नियंत्रण रखें। मानसिक शांति बनाये रखें। ऐसे किसी काम में लिप्त ना होयें जिससे आंतरिक शांति भंग हो। जून में वक्रीय शनि आपकी राशि से चौथे भाव में आएगा। इस समय आपकी माता जी का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। ज़मीन-जायदाद संबंधी विवाद भी हो सकते हैं। काम की अधिकता की वजह से स्वयं की सेहत पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। इसलिए नियमित रूप से आराम कीजिए और 8 घंटे की नींद लें। अक्टूबर के आखिरी में आपकी राशि से पांचवें भाव में शनि का गोचर होगा। कार्य स्थल पर आपके प्रयास सार्थक नहीं हो पाएंगे। करियर में सुधार होगा लेकिन परिणाम उतने बेहतर नहीं होंगे। सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

उपाय: हर शनिवार हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।

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तुला: शनि ग्रह आपकी राशि में चौथे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। चौथा घर माता, वाहन और जीवन में खुशी को दर्शाता है जबकि पांचावां भाव शिक्षा और बच्चों से संबंधित है। शनि आपका योग कारक ग्रह भी है जिसका आपके जीवन में बड़ा महत्व है। इस वर्ष शनि का गोचर तुला राशि से तीसरे भाव में होगा। इसके फलस्वरूप फैसले लेने की क्षमता में वृद्धि होगी और आप दृढ़ निश्चय के साथ सफलता प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होंगे। छोटे भाई-बहनों से परेशानी हो सकती है। इसकी वजह से मानसिक तनाव बढ़ सकता है। छोटी या लंबी दूरी की यात्रा की संभावना बन रही है। जून में आपकी राशि से दूसरे भाव में शनि का गोचर होगा। इस दौरान परिवार में विवाद की स्थिति बनेगी। प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों में लाभ की संभावना है। अक्टूबर के अंत में शनि देव वक्रीय गति करते हुए आपकी राशि से तीसरे भाव में संचरण करेंगे। इस दौरान लंबी दूरी की यात्रा करने से धन लाभ की संभावना है। रोजमर्रा की ज़िंदगी में खर्च बढ़ने से परेशानी हो सकती है इसलिए खर्चों पर ध्यान दें। आपकी आय बढ़ेगी इसलिए आमदनी के हिसाब से खर्च करें और पैसे बचाएं। छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर मिलेंगे। इस साल आपको कई अच्छे अवसर मिलेंगे। अगर समय रहते हुए आपने इन अवसरों को भुना लिया तो इसके बेहद प्रभावशाली परिणाम प्राप्त होंगे।

उपाय: शनिवार को बंदर और काले कुत्ते को लड्डू खिलाएं।

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वृश्चिक: शनि ग्रह आपकी राशि में तीसरे और चौथे भाव का स्वामी है। तीसरा भाव प्रयास, संचार और भाई-बहन आदि से संबंधित होता है जबकि चौथा घर माता, वाहन और खुशियों को दर्शाता है। इस वर्ष शनि का गोचर वृश्चिक राशि से दूसरे भाव में होगा। इसकी वजह से पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल मच सकती है। झगड़े और विवादों की स्थिति उत्पन्न होगी। अगर समय रहते हुए आपने स्थितियों को नहीं संभाला तो रिश्ते टूट सकते हैं। इस साल परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। कार्य स्थल पर किए गए प्रयासों से बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे और आय में बढ़ोतरी होगी। कठिन परिश्रम से अच्छे नतीजे मिलेंगे। कोई बेहतरीन अवसर आपके दरवाजे पर दस्तक देंगे। जून में शनि का गोचर आपकी राशि में होने से मानसिक तनाव बढ़ेगा। स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है इसलिए संतुलित और अच्छा भोजन करें व अपना ध्यान रखें। तंदुरुस्त रहने के लिए सुबह सैर पर जाएं। अक्टूबर के अंत में शनि वक्रीय गति करते हुए आपकी राशि से दूसरे भाव में प्रवेश करेगा। कड़ी मेहनत की बदौलत अधिक से अधिक कमाई करने में सक्षम होंगे। परिजनों के साथ रिश्ते और बेहतर होंगे।

उपाय: कुष्ठ रोगियों की सेवा करें।

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धनु: शनि आपकी राशि में दूसरे और तीसरे भाव का स्वामी है। दूसरा भाव धन, परिवार और भाषा से संबंधित है जबकि तीसरा भाव भाई-बहन, प्रयास और संचार को दर्शाता है। इस साल शनि का गोचर धनु राशि में होगा। यह समय आपके लिए आसान नहीं रहने वाला है। मानसिक तनाव और परेशानी बढ़ेगी। अगर पहले से कोई बीमारी है जिसका इलाज चल रहा है उसमें लापरवाही नहीं बरतें वरना बड़ी हानि हो सकती है। सेहतमंद रहने के लिए नियमित रूप से आराम करें और स्वयं का ख्याल रखें। आपके भाई-बहनों के जीवन में खुशियां और समृद्धि आएगी। उनकी कामयाबी पर आपको गर्व होगा। जून में शनि का गोचर आपकी राशि से बारहवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप वैवाहिक जीवन में तनाव रहेगा। विवादों की वजह से जीवन साथी के साथ रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा। पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करें और बोलचाल में सावधानी बरतें। जीवन साथी को सम्मान दें और उनकी भावना का आदर करें। अक्टूबर के अंत में शनि का गोचर पुन: आपकी राशि में होगा। काम के बोझ से सक्रियता बढ़ेगी इसलिए कुछ बड़ा लक्ष्य हासिल करने की सोच रखें। कार्य स्थल पर सब कुछ अच्छा रहेगा लेकिन काम के दबाव से मानसिक शांति प्रभावित होगी।

उपाय: शराब और मांसाहार के सेवन से दूर रहें।

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मकरशनि देव आपकी लग्न राशि के स्वामी हैं। यह आपके चरित्र, व्यक्तित्व और दीर्घायु को दर्शाते हैं। जबकि दूसरे भाव के स्वामी होकर धन, परिवार और भाषा से संबंधित हैं। इस वर्ष शनि का गोचर मकर राशि से बारहवें भाव में होगा। इस दौरान हानि की संभावना बन रही है। इस साल खर्च ज्यादा होने से नुकसान हो सकता है। विदेश यात्रा के योग भी बन रहे हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्या परेशान कर सकती है। जून में शनि आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में प्रवेश करेंगे। इसके फलस्वरूप आपको कमाई के कई अवसर मिलेंगे। लंबे समय से जिस पल का आपको इंतज़ार था वो समय आएगा। नाम और शोहरत मिलने से सामाजिक जीवन भी अच्छा रहेगा। अक्टूबर के अंत में शनि पुन: बारहवें भाव में प्रवेश करेगा। इस दौरान मौसमी बीमारी से पीड़ित रह सकते हैं। इसलिए स्वच्छ व संतुलित भोजन करें और नियमित रूप से आराम करें। आमदनी के मुकाबले में ज्यादा खर्च होने से मुश्किलें बढ़ेंगी। विदेश से सफलता मिलने के योग हैं। कानूनी मामले और विवादों से परेशानी हो सकती है। पहले से तय किसी भी योजना के बारे में खुले दिमाग से सोचें और फिर कोई फैसला लें। जून के बाद का समय बेहद अच्छा है अत: कठिन परिश्रम से इसका भरपूर दोहन करें।उपाय: शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें व 11 नारियल नदी में प्रवाहित करें।

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कुंभ: कर्मफल दाता शनि देव आपकी लग्न राशि के स्वामी हैं। यह आपके चरित्र, व्यक्तित्व और दीर्घायु को दर्शाते हैं। शनि देव आपके राशि में बारहवें भाव के भी स्वामी हैं। यह भाव हानि, खर्च, अस्पताल और सुख-सुविधाओं से संबंधित है। इस साल शनि का गोचर कुंभ राशि से ग्यारहवें भाव में होगा। इसके फलस्वरूप आपकी आमदनी में लगातार वृद्धि होगी। कार्य स्थल पर हर वक्त अच्छे अवसर मिलेंगे। बेहतर ज़िंदगी को लेकर जो सपना आपने देखा था वो इस साल पूरा होने की संभावना है। जून में शनि आपकी राशि से दसवें भाव की ओर बढ़ेंगे। इस दौरान कामकाज पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अच्छी आय होने के बावजूद खर्चों पर नियंत्रण रखें। इस समय में अपने कौशल और साहस का सही दिशा में इस्तेमाल करें। अक्टूबर में शनि का गोचर कुंभ राशि से ग्यारहवें भाव में होगा। यह आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण समय होगा। मेहनत और कार्य कुशलता की बदौलत अच्छे नतीजे मिलेंगे। छोटे भाई-बहनों की तबीयत बिगड़ सकती है। हालांकि आप स्वस्थ और तंदुरुस्त रहेंगे। अच्छी सेहत के लिए स्वच्छ और संतुलित भोजन करें। पूर्व की कोई बीमारी या कष्ट जिससे आप परेशान हैं उससे छुटकारा मिलेगा। आपकी शिक्षा या बच्चों की ओर से तनाव पैदा होगा। इस समय में प्रेम संबंध भी सुखमय नहीं होंगे। तनाव बढ़ने से परेशानी होगी इसलिए मानसिक शांति के लिए नियमित रूप से योग और प्राणायाम करें।

उपाय:: मंदिर में सरसो के तेल का दान करें।

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मीन: शनि देव आपकी राशि में ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। ये भाव आय, लाभ, सफलता, खर्च और हानि से संबंधित होते हैं। इस वर्ष शनि का गोचर मीन राशि से दसवें भाव में होगा। इसके फलस्वरूप इस साल आमदनी कम होगी और खर्च ज्यादा होगा। इसलिए बेहतर होगा कि बेवजह खर्च करने से बचें। माता जी की तबीयत बिगड़ सकती है इसलिए उनकी सेहत पर ध्यान दें। जून में शनि आपकी राशि से नौंवे भाव में प्रवेश करेगा। इस दौरान आप नई नौकरी के बारे में सोच सकते हैं। अपने प्रयास जारी रखें और धैर्य व कठिन परिश्रम के महत्व को समझें। देर से ही सही लेकिन सफलता मिलेगी इसलिए संयम बनाये रखें। काम के सिलसिले में विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। अक्टूबर के अंत में शनि देव पुन: आपके दसवें भाव में लौटेंगे। व्यस्त दिनचर्या की वजह से जीवन साथी को ज्यादा समय नहीं दे पाएंगे। इसकी वजह से विवाद की स्थिति पैदा होगी। इसलिए बेहतर होगा कि जीवन साथी व प्रेमिका को समय दें और उनके साथ वक्त गुजारें। परिजनों को भी समय दें और उनके लिए कुछ खास करें जिससे उन्हें खुशी मिले। उपाय: शनिवार को काले कुत्ते को कुछ खिलाएं।



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