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सावन में सोमवार का हैं खास महत्व, ऐसे चढ़ाएंगे शिवामूठ तो मिलेगा फल
लखनऊ: सावन माह में वैसे तो हर दिन का महत्व है, लेकिन सावन के सोमवार का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार सोमवार हिमांशु यानि चंद्रमा का ही दिन है। स्थूल रूप में अभिलक्षणा विधि से भी यदि देखा जाए तो चन्द्रमा की पूजा भी स्वयं भगवान शिव की प्राप्त हो जाती है , क्योंकि चन्द्रमा का निवास भी भुजंग भूषण भगवान शिव का सिर ही है। सोम मतलब साक्षात शिव का दिन है। इसलिए भोले बाबा लोगों पर अपनी असीम कृपा बरसाते है। भगवान शिव ने खुद को दांव पर लगाकर यानि विष पीकर संसार को जीवनदान दिया था। शिव पुराण में इसका बहुत ही बढ़िया वर्णन है।
'दिवाकरो महेशस्यमूर्तिर्दीप्त सुमण्डलः।
निर्गुणो गुणसंकीर्णस्तथैव गुणकेवलः।
अविकारात्मकष्चाद्य एकः सामान्यविक्रियः।
असाधारणकर्मा च सृष्टिस्थितिलयक्रमात्। एवं त्रिधा चतुर्द्धा च विभक्तः पंचधा पुनः।
चतुर्थावरणे षम्भोः पूजिताष्चनुगैः सह। शिवप्रियः शिवासक्तः शिवपादार्चने रतः।
सत्कृत्य शिवयोराज्ञां स मे दिषतु मंगलम्।'
अर्थात् भगवान सूर्य महेश्वर की मूर्ति हैं, उनका सुन्दर मण्डल दीप्तिमान है, वे निर्गुण होते हुए भी कल्याण मय गुणों से युक्त हैं, केवल सुणरूप हैं, निर्विकार, सबके आदि कारण और एकमात्र (अद्वितीय) हैं।
इस लिए थोड़ी सी विशेष पूजा कर भोलेनाथ की अमोघ कृपा प्राप्त की जा सकती है। शनि की साढ़ेसाती से छुटकारा प्राप्त करने के लिए सावन मास में शिव पूजन से बढ़कर और कोई श्रेष्ठ उपाय नहीं है। इस कारण सोमवार को विशेष पूजा कर शिव की कृपा प्राप्त की जाती है।
क्यों चढ़ाते है शिवामूठ
सावन के महीने में चार सोमवार, एक प्रदोष तथा एक शिवरात्रि ये योग आते हैं। इसलिए ये माह विशेष फल देने वाला होता है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस माह में शिवामूठ का क्या महत्व है और क्या है शिवामूठ।
आचार्य सागर जी महाराज के अनुसार प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर के शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले एक मुट्ठी अनाज को शिवामूठ कहा जाता है। इस अनाज में चावल और दाल भी शामिल है। विशेष फल प्राप्ति के लिए शिवामूठ चढ़ाए जाने का महत्व है...
इस तरह से चढ़ाएं शिवामूठ
- सावन माह के प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुटठी चढाई जाती है।
- सावन माह के दूसरे सोमवार को सफेद तिल्ली एक मुट्ठी चढ़ाई जाती है।
- सावन माह के तीसरे सोमवार को साबुत मूंग एक मुट्ठी चढ़ाई जाती है।
- सावन माह के चौथे सोमवार को एक मुट्ठी जौं चढ़ाए जाते हैं।
- यदि पांचवां सोमवार आए तो एक मुट्ठी सत्तू चढ़ाया जाता है।
इसके अलावा सावन में शिव की पूजा में बिल्वपत्र अधिक महत्व रखता है। शिव द्वारा विषपान करने के कारण शिव के मस्तक पर जल की धारा से जलाभिषेक शिव भक्तों द्वारा किया जाता है। शिव भोलेनाथ ने गंगा को शिरोधार्य किया है।
पूरे सावन मास शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ और जाप किया जाता है तो श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है।