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SENSATIONAL नॉवेल का शौक है आपको तो नहीं होगा कोई अवसाद

suman
Published on: 22 Feb 2018 5:26 AM GMT
SENSATIONAL नॉवेल का शौक है आपको तो नहीं होगा कोई अवसाद
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जयपुर: जो लोग पढ़ने का शौक रखते हैं तो वो कई तरह की परेशानियों से दूर हो जाते हैं। एक तो अकेलापन नहीं सताता और समय भी अच्छा गुजरता है। एक रिसर्च में कहा गया है कि किताबें जिनकी साथी होती हैं उन्हें अवसाद का खतरा भी कम होता है। हालांकि यह कोई भी किताब से नहीं, सनसनीखेज नॉवेल से होता है। रिसर्च में कहा गया है कि हर बीमारी में दवा जरूरी नहीं होता है। छह करोड़ से अधिक लोगों को एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी गईं। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जरूरी नहीं हर तरह के अवसाद, चिड़चिड़ापन, और घबराहट के मरीजों को दवा की जरूरत हो। इनमें से कुछ को अन्य थेरेपी से भी राहत मिलती है। यह शोध इसी अवधारणा की कड़ी है। किताब पढ़ने की थेरेपी को बिबलियोथेरेपी कहते हैं, इसी तरह बात करने की थेरेपी को टॉकिंग थेरेपी कहते हैं।

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बिबलियो थेरेपी, लंबी अवधि में अवसाद के लक्ष्णों को कम करने में प्रभावी है। इसके साथ ही मरीज या पीड़ित की दवाओं पर निर्भरता भी कम हो जाती है। रिसर्च के दौरान बिबलियो थेरेपी का इस्तेमाल करने वाले मरीजों के स्वभाव में अंतर दिखाई पड़ा। इनमें से ज्यादातर 3साल से अधिक समय से अवसाद से जूझ रहे थे। इस प्रयोग के नतीजे क्लीनिकल साइकोलॉजी रिव्यू पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

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इटली की यूनीवर्सिटी ऑफ ट्यूरिन के शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सनसनीखेज या क्राइम नॉवेल के शौकीन लोगों में अवसाद का खतरा कम रहता है। उनका कहना है यह अवसाद का इलाज तो नहीं है, लेकिन क्राइम नॉवेल पढ़ने वाले लोगों की एंटीडिप्रेसेंट दवाओं पर निर्भरता बहुत कम हो जाती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि किताब पढ़ने से दिमाग पर दबाव कम होता है, जो कई समस्याओं की जड़ होती है।

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