×

अखंड ज्योति में इन बातों के साथ रखें दीपक की दिशा का भी ध्यान

suman
Published on: 10 Oct 2018 9:46 PM IST
अखंड ज्योति में इन बातों के साथ रखें दीपक की दिशा का भी ध्यान
X

जयपुर:नवरात्रि आते ही हर तरफ भक्ति का माहौल रहता है। लोग मां दुर्गा के सामने कई तरह से श्रद्धा प्रकट करते हैं। मां दुर्गा के सामने अपनी श्रद्धा प्रकट करने के कई तरीके हैं और इन्हीं में एक है अखंड ज्योति जलाना। ये ज्योति है नवरात्र‍ि में दिन-रात लगातार जलती है। इसे कभी बुझने नहीं देना चाहिए। लगातार जलने की वजह से ही इसे अखंड ज्योति कहते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो याद रखें क‍ि इस दौरान घर में कभी ताला नहीं लगाना चाहिए। इसके पीछे धारणा यही है कि परिवार के सदस्यों की गैर-मौजूदगी में अगर ये ज्योति बुझ जाए तो अपशकुन होता है।

नवरात्रि के नौ द‍िनों में मां दुर्गा के जिन स्वरूपों की पूजा होती है उनमें माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि देवी हैं। नवरात्रों में नौ दिनों तक देवी माता जी का विशेष श्रृंगार होता है। चोला, फूलों की माला, हार और नए कपड़ों से माता जी का श्रृंगार किया जाता है। वहीं नवरात्र में देशी गाय के घी से अखंड ज्योति जलता है। यह मां भगवती को बहुत प्रसन्न करने वाला कार्य होता है। लेकिन अगर गाय का घी नहीं है तो अन्य घी से माता की अखंड ज्योति पूजा स्थान पर जरूर जलानी चाहिए।

मां दुर्गा का ये रूप हैं तप, त्याग, संयम का, इनकी उपासना से मिलती है समृद्धि

हर पूजा में दीपक का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में यह भक्त की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक होता है। इसलिए दीपक के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती। नवरात्रि नौ दिनों की होती है इसलिए जब भी नवरात्रि का संकल्प लेकर अखंड दीपक जलाएं तो इसके नियमों का पालन अवश्य करें। अखंड ज्योति सिर्फ पीतल के दीप पात्र में ही जलाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। पीतल को शुद्ध माना जाता है, इसलिए पूजा में इससे बने पात्रों को प्रयोग किया जाता है। अगर पीतल का दीया नहीं जला सकते, तो मिट्टी का दीप-पात्र ले सकते हैं।

अगर मिट्टी का दीपक जला रहे हैं, तो इसमें अखंड ज्योति लगाने से 24 घंटे पहले इसे साफ जल से भरे किसी बरतन में पानी में पूरी तरह डुबोकर रखें।उसके बाद उसे पानी से निकालें और और किसी साफ कपड़े से पोंछकर सुखा लें।

अखंड ज्योति का यह दीया कभी खाली जमीन पर नहीं रखा जाता। इसलिए चाहे चौकी या पटरे पर इसे जला रहे हों या देवी के सामने जमीन पर रख रहे हों, दीये को रखने के लिए अष्टदल अवश्य बनाएं। यह अष्टदल गुलाल या रंगे हुए चावलों से बना सकते हैं। पीले या लाल चावलों से चित्रानुसार अष्टदल बना लें।

इस तेल से संवरेगा आपका भाग्य,बस खाने के अलावा ऐसे भी इसे करें इस्तेमाल

अखंड ज्योति में जलाने वाला दीया कभी बुझना नहीं चाहिए, इसलिए इसकी बाती विशेष होती है। यह रक्षासूत्र से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र लेकर उसे सावधानीपूर्वक बाती की तरह दीये के बीचोंबीच रखें। किसी भी पूजा में दीपक के लिए शुद्ध घी का प्रयोग किया जाना अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर घी ना जला सकें तो तिल या सरसों का तेल भी जलाया जा सकता है। बस इतना ध्यान रखें कि इनमें अन्य तेलों की मिलावट ना हो और ये पूरी तरह शुद्ध हों। आप घी या तेल का दीपक जला रहे हैं, इसी से देवी के सामने दीपक रखे जाने का स्थान तय होता है। ऐसी मान्यता है कि अगर घी दीपक जलाया जाए, तो यह देवी की दाईं ओर रखा जाना चाहिए, लेकिन अगर दीपक तेल का है तो इसे बाईं ओर रखें।

अगर किसी विशेष मनोकामना के साथ यह अखंड ज्योति जला रहे हों तो उसे भी मन में सोच लें और माता से प्रार्थना करें कि पूजा की समाप्ति के साथ ही वह पूर्ण हो जाए, अब मां दुर्गा का मंत्र - ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।। का उच्चारण करते हुए दीपक जलाएं।



suman

suman

Next Story