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नैतिक साहस ! जब अटल जी बोले- मैं कुंआरा तो हूं, ब्रह्मचारी नहीं

Rishi
Published on: 16 Aug 2018 5:15 PM GMT
नैतिक साहस ! जब अटल जी बोले- मैं कुंआरा तो हूं, ब्रह्मचारी नहीं
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लखनऊ : देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 94 वर्ष की उम्र में गुरुवार की शाम निधन हो गया। अटल वर्ष 1991 से 2004 तक लगातार लखनऊ से सांसद चुने गए। उनका उत्तर प्रदेश की राजधानी से गहरा नाता रहा। उनको जानने वाले बताते हैं कि वह एक कुशल राजनेता, कवि, प्रखर वक्ता और पत्रकार के रूप में राजनेताओं और जनता के बीच लोकप्रिय रहे।

जानिए कुछ बेहद खास

शीला कौल जो उनके साथ रहती थीं.. आप इसे मित्रता कहे, प्रेम संबंध कहें, मीरा का संबंध कहें, या फिर राधा का संबंध कहें, लिव इन रिलेशन कहें, लेकिन वे जो करते थे खुलकर करते, वही करते जो उन्हें उचित लगता। कृष्ण की तरह करते, जैसे कृष्ण ने सत्यभामा और रुक्मिणी के होते हुए राधा के संबंध को छुपाया नहीं।

जब वे कष्ट में रहे तब तो उन्हें रायसीना रोड के सुधीर के ढाबे से 'दाल' मंगाकर भी खाते देखा गया है। तब तो भारत वर्ष में कहीं से उनका कोई रिश्तेदार नहीं आया। एक मात्र शीला जी रही जो सुख दुख में उनके साथ खड़ी थी। लेकिन किसी ने इसे देखा नहीं। हिंदुस्तान के किसी राजनीतिज्ञ ने, प्रेस ने इस विषय को उठाया भी नहीं, कि प्रधानमंत्री आवास में एक महिला भी रहती है।

विश्व के इतिहास की एक अनोखी घटना है। क्या कोई ऐसी और घटना बता सकता है, जहां प्रधानमंत्री के घर में एक अनजान महिला जो उनकी पत्नी नहीं हो उसके बाद भी अपने दत्तक दामाद के साथ वहीं रहती हो। रंजन भट्टाचार्य के साथ दत्तक बेटी भी। तो प्रेस ने क्यों नहीं उठाया ये सवाल। कभी किसी ने ध्यान भी नहीं दिया।

विचार करें, क्योंकि अटल जी का 'चरित्र' सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा था। उनके चरित्र पर कोई धब्बा नहीं है। उसके बावजूद उन्होंने अशोक सिंहल जी के डांटने पर एक बार संसद में कहा था, " मैं कुंआरा तो हूं, ब्रह्मचारी नहीं।" इसे कहने के लिए बेहद नैतिक साहस चाहिए। प्रो.रज्जू भैया ने भी कहा था कि ये कहने के लिए बहुत नैतिक साहस चाहिए। लेकिन अशोक सिंहल जी को ये बात बुरी लगी थी।

उन्होंने कहा- ये क्या कोई कहने वाली बात है कि 'मैं कुआंरा तो हूं, ब्रह्मचारी नहीं, यानी चरित्रहीन हूं।'

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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