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मां का ये रूप है विलक्षण,108 परिक्रमा से भक्तों की पूरी होती है मुराद
बुलंदशहर: शहर से 25 किमी दूर खुर्जा में श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर को खुर्जा वाली मैया के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर में अष्टधातु की 4.5 टन वजन की 27 खंडों में बनी शक्ति की मूर्ति है, जिसमें मां के नौ रूप समाहित है।
14 फुट ऊंची और 11 फुट चौड़ी है मां की मूर्तिदुर्गा माता की अद्वितीय मूर्ति अष्टधातु से बनी है, इस अट्ठारहभुजी मूर्ति में श्रद्धालु देवी मां के सभी नौ रूपों के दर्शन करते है। ये मूर्ति 14 फुट ऊंची और 11 फुट चौड़ी मूर्ति में मां दुर्गा कमल के आसन पर विराजमान है। मूर्ति का निर्माण एक पिलर पर टिका है। मंदिर के सचिव डॉ. मोहनलाल ने कहा कि मां दुर्गा कि ऐसी विलक्षण मूर्ति भारत में दूसरी और कहीं नहीं है।
नौ रूपों का श्रृंगार
श्रीनवदुर्गा मंदिर में आदिशक्ति मां जगदम्बा के सभी नौ रूपों का श्रृंगार भी हर रोज अलग-अलग होता है। श्रृंगार से एक दिन पहले मां की पोशाक की पूजा होती है। इस विग्रह को श्री दुर्गा पंचायत का रूप दिया गया है, जिसमें मां भवानी एक रथ पर कमलासन मुद्रा में विराजमान हैं। उनके दाईं ओर हनुमान जी और बाईं ओर भैरों जी उनकी अगुवाई करते हैं। रथ के शीर्ष पर भगवान शंकर विराजमान हैं और रथ के सारथी हैं भगवान श्री गणेश।परिक्रमा का विशेष महत्वश्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर के चारों ओर एक परिक्रमा मार्ग का भी निर्माण किया गया है। कहते हैं कि नवरात्रियों में मंदिर की 108 परिक्रमा करने से भक्तों की सभी मुराद पूरी होती हैं।
2 हजार वर्ग में फैला है मंदिरखुर्जा जीटी रोड स्थित अलीगढ़ चुगी के निकट करीब दो हजार वर्ग में मां दुर्गा शक्ति मंदिर बना हुआ है। भूतल से मंदिर की ऊंचाई 30 फीट और इसके शिखर की ऊंचाई 60 फीट है। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण इस तकनीक से किया गया है कि सड़क से ही माता रानी के मुख्य भवन के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर प्रांगण में सभी दीवारों और छत पर दिल्ली और जयपुर के कलाकारों द्वारा शीशे की महीन कारीगरी की गई है।
एक साल में तैयार हुई थी मूर्ति
श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर में स्थापित मूर्ति को लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, मथुरा, बनारस और अलीगढ़ के करीब 100 से अधिक कलाकारों के प्रयास से एक साल में तैयार किया गया था।अष्टमी पर एक हजार किलो का लगता है भोगश्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर में नवरात्रियों के दिनों में हर रोज 56 भोग लगाए जाते है, लेकिन अष्टमी वाले दिन आदिशक्ति मां जगदम्बा को एक हजार किलो हलुवा का भोग लगता है। उसके बाद इस हलुवा को प्रसाद के रूप में मंदिर में आए भक्तों को बांट दिया जाता है।
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