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अगर आप भी नहाते हैं इस तरह से तो कभी नहीं होगा ब्रेन हैमब्रेज

suman
Published on: 19 Jan 2017 10:46 AM IST
अगर आप भी नहाते हैं इस तरह से तो कभी नहीं होगा ब्रेन हैमब्रेज
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लखनऊ: मनुष्य के दैनिक कार्यों में नहाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। बस नहाने का तरी सही और धार्मिक-वैज्ञानिक दृष्टि से सही हो। जानते हैं नहाने का वैज्ञानिक तरीकों के बारे में....

*क्या आपने कभी अपने आस पास ध्यान से देखा या सुना है कि नहाते समय बुजुर्ग को लकवा लग गया? दिमाग की नस फट गई ( ब्रेन हेमरेज), हार्ट अटैक आ गया। छोटे बच्चे को नहलाते समय वो बहुत कांपता रहता है, डरता है और माता समझती है की नहाने से डर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है, असल में ये सब गलत तरीके से नहाने से होता है ।

दरअसल हमारे शरीर में गुप्त विद्युत् शक्ति रुधिर (खून) के निरंतर प्रवाह के कारण पैदा होते रहती है, जिसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरों की तरफ आती है। सर में बहुत महीन रक्त नालिकायें होती है जो दिमाग को रक्त पहुँचाती है।

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*यदि कोई व्यक्ति निरंतर सीधे सर में ठंडा पानी डालकर नहाता है तो ये नलिकाएं सिकुड़ने या रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं और जब शरीर इनको सहन नहीं कर पाता तो घटनाएं होती है।

*सर पर सीधे पानी डालने से हमारा सर ठंडा होने लगता है, जिससे हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है, जिससे या तो बुजुर्ग में हार्ट अटैक या दिमाग की नस फटने की अवस्था हो सकती है। ठीक इसी तरह बच्चे का नियंत्रण तंत्र भी तुरंत प्रतिक्रिया देता है जिससे बच्चे के काम्पने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है , और मां समझती है की बच्चा डर रहा है ।

*गलत तरीके से नहाने से बच्चे की हृदय की धड़कन अत्यधिक बढ़ जाती है स्वयं परीक्षण करिए तो आईए हम आपको नहाने का सबसे सही तरीका बताते हैं ...

*बाथरूम में आराम से बैठकर या खड़े होकर सबसे पहले पैर के पंजो पर पानी डालिए , रगड़िए, फिर पिंडलियों पर, फिर घुटनों पर पानी डालिए और हाथों से मालिश करिए।

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*फिर हाथों से पानी लेकर पेट को रगड़िए। फिर कंधोें पर पानी डालिए, फिर अंजुली में पानी लेकर मुंह पर मलिए। हाथों से पानी लेकर सर पर मलिए।

*इसके बाद आप शावर के नीचे खड़े होकर या बाल्टी सर पर उड़ेलकर नहा सकते हैं। इस प्रक्रिया में केवल 1 मिनट लगता है, लेकिन इससे आपके जीवन की रक्षा होती है और इस 1 मिनट में शरीर की विद्युत प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे ही बहती रहती है क्योंकि विद्युत् को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरों पर डाला गया है।

*बच्चे को इसी तरीके से नहलाने पर वो बिलकुल कांपता डरता नहीं है। इस प्रक्रिया में शरीर की गर्मी पेशाब के रास्ते बाहर आ जाती है आप कितनी भी सर्दी में नहाए कभी जुखाम-बुखार नहीं होता है।



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