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249 सालों से नहीं हुआ यहां दुर्गा मां का विसर्जन, जानें किसने भक्तों को किया है मजबूर?
वाराणसी: विजयादशमी यानि की नवरात्रि में हो रही देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन। आमतौर पर विजयदशमी के दिन दुर्गा माता का पूजन-अर्चन करने के बाद सभी दुर्गा प्रतिमाएं विसर्जित कर दी जाती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि काशी में एक ऐसी दुर्गा प्रतिमा है, जो 249 साल से आज तक विसर्जित नहीं हुई है। जी हां, हो सकता है कि यह बात आपको हैरान करे, लेकिन यह सच है।
आगे की स्लाइड में जानिए क्यों नहीं विसर्जित की गई मां दुर्गा की यह प्रतिमा
वाराणसी बाबा विश्वनाथ की नगरी में मां दुर्गा का ऐसा चमत्कार, जिसे सुनकर आप भी चौक जाएंगे। 249 साल पहले मां दुर्गा का ये चमत्कार ही था कि मुखर्जी परिवार के मुखिया को सपने में आकर मां दुर्गा ने कहा था कि "मुझे विसर्जित मत करना, मैं यहीं रहना चाहती हूं" और तभी से मां एक बंगाली परिवार के घर विराजमान हैं।
क्या है मंदिर के पुजारी का कहना
इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि 1767 में पुरखों ने नवरात्रि के समय बर्वाड़ी दुर्गा पूजा के लिए मां दुर्गा की एक चाला प्रतिमा स्थपित की थी। मगर विजयादशमी के दिन जब विसर्जन के लिए मां को उठाने का प्रयत्न किया गया, तो देवी मां की प्रतिमा हिली तक नहीं। ये दुर्गा प्रतिमा जहां स्थापित है, वहां के बंगाली परिवार का कहना है कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना है कि इस बात को सुन काफी लोग उस समय इकठ्ठा हो गए। सभी ने मिलकर प्रयास किया, मगर पांच फीट की ये प्रतिमा हिली तक नहीं।
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बंगाली परिवार के सदस्य एच के मुखर्जी के मुताबिक उसी रात परिवार के मुखिया मुखर्जी दादा को मां ने स्वप्न में दर्शन दिया और कहा कि "मैं यहां से जाना नहीं चाहती। मुझे केवल गुड़ और चने का भोग रोज शाम को लगा दिया करो। मैं अब यही रहूंगी।" एच.के मुखर्जी ने बताया कि मां की खास बात ये है कि मिट्टी, पुआल,बांस,सुतली से बनी यह प्रतिमा इतने वर्षों बाद भी वैसी ही आज भी विराजमान हैं।
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नवरात्र में मां की महिमा सुनकर लोग दूर-दूर से दर्शन को आते हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि मां ऐसी प्रतिमा आज तक नहीं देखी कि जो नवरात्र में स्थापित हुई थी और विसर्जन के लिए जब उठाया गया, तो एक इंच भी नहीं हिली। ये मां की महिमा है। श्रद्धालु बताते हैंकि बाप दादाओं से मां के चमत्कार के बारे में सुना है देश की ये अद्भुत प्रतिमा है, जो आजतक विसर्जित नहीं हुई है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि जो भी यहां आता है। मां के दरवार में उनकी मुराद जरूर पूरी होती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि जो भी शख्स इतनी पुरानी दुर्गा प्रतिमा के बारे में सुनता है। वह एक बार मां के दर्शन के लिए जरूर आता है। ये मां की महिमा ही है कि मिट्टी से बनी ये प्रतिमा आज भी बिलकुल वैसी ही है, जैसे की 249 साल पहले थी।