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क्या है इस अंतिम मास की महिमा, क्यों चलती है दिलों में फाल्गुन की बयार
जयपुर: हिंदू पंचांग के अनुसार साल का अंतिम 12वां माह फाल्गुन होता है। फाल्गुन मास का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है इसका मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व भी है। यह महीना हमें सीखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। इस मास के व्रत, त्योहारों में भी यही भाव छिपा है। इस मास से जुड़ी कुछ रोचक बातें इस प्रकार हैं- फाल्गुन को प्यार, आनंद व उल्लास का महीना कहा जाता है। फाल्गुन में चंद्र देव का जन्म माना जाता है। मन की चंचलता पर रोक लगाने के लिए इस माह चंद्र देव को जल अर्पित किया जाता है और शायद यही वजह है कि प्यार का महीना भी इसे कहा जाता है। अंग्रेजी सभ्यता का वेलेनटाइन डे भी इस माह में पड़ता है। इस माह में बहुत सी ऐसी तिथियां है जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
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फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी को जानकी नवमी पर माता सीता का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी का जन्म हुआ था। इस माह कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस माह होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है और इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। इस माह शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है। इस माह अनाज का प्रयोग कम करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। इस माह रंगीन और सुंदर कपड़े धारण करना चाहिए।