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आखिर क्यों जाते हैं हम सब मंदिर, कभी सोचा है इस बारे में
जयपुर:जो लोग भगवान को मानते हैं उनमें विश्वास करते हैं, वे मंदिर जाने के महत्व को जानते हैं। कहते हैं कि मंदिर जाने से ना केवल नकारत्मक शक्तियां दूर रहती हैं बल्कि मन की शांति बनाए रखने में भी मदद मिलती है। मंदिर में सकारात्मकता और जीवंतता का आभास होता है जो मन, शरीर और आत्मा को पूरी तरह से शुद्ध करता है। घंटी की आवाज, धूप की खुशबू, मंत्रों का जप, प्रसाद आदि की पेशकश, ये सब हमें नई उम्मीद देती हैं, सकारात्मकता पैदा करती हैं और हमारे डर को कम करते हैं । यह मानवीय स्वभाव है कि जब भी हम किसी चीज से डरते हैं, तो हम अक्सर भगवान से प्रार्थना करते हैं। इस प्रकार, मंदिर जाना हमें कई तरीकों से मदद करता है।
*हम मंदिर नंगे पैर जाते हैं। इससे हमें जमीन से प्राकृतिक सकारात्मकता मिलती है। मंदिर में शुद्ध कंपन होता हैं, जो नंगे पैर होने के कारण शरीर में प्रवेश करता हैं। मंदिर सकारात्मकता का सुचालक होता है जो मन को आराम देने में मदद करता है और शांति लाता है।
*मंदिर में कपूर और धूप जलाते हैं। इससे बेहतर दृष्टि पाने में मदद मिलती है। जब हम भगवान या देवता की प्रार्थना करते हैं, तो प्रसन्न होते हैं। ज्योति की लपटों पर हाथ बढ़ा कर और उसके बाद सिर को स्पर्श करने से शरीर में स्पर्श का बोध बढ़ता है।
*मंदिर में देवता के सामने जब हम फूल चढ़ाते हैं, तो यह हमे खुशबू मिलती है। फूलों की खुशबू दिमाग को शांत करती है। फूलों को छूने से स्पर्श का बेहतर बोध हो पाता है क्योंकि फूल कोमल और नाजुक होते हैं।ॉ
*मंदिर में घंटी मंदिर के वातावरण को सकारात्मक देती है। यह नकारात्मकता को हमसे दूर करती है। यह हमारे दिमाग और आत्मा में मेल बनाकर इन्हें जोड़ता है। इसके अलावा, घंटे मजबूत धातु से बने होते हैं जिन्हें छूने से शरीर को ठंडक मिलती है। घंटा बजाने से हमारे शरीर का सुनने का बोध बेहतर होता है।
*यह सबसे महत्वपूर्ण है जिसमें हम मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। इसका अर्थ धार्मिकता के मार्ग का अनुसरण करना है। जब हम मंदिर में परिक्रमा करते हैं, तो यह हमारे जीवन में सकारात्मकता बढ़ाने और अच्छी विचार लाने में मदद करता है। यह एक व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए अच्छा है।