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इस शिव मंदिर में नहीं होती शिवलिंग या मूर्ति पूजा, होती है उनके इस अंग की आराधना
जयपुर :भगवान भोलेनाथ अन्य देवताओं की अपेक्षा काफी भोले हैं यह बहुत ही जल्द अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। देश में भगवान शिव के बहुत से मंदिर है। जिसमे से एक धौलपुर के अचलेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध मंदिर है। जहां पर दिन में तीन बार रंग बदलने वाला भगवान शिव का यह शिवलिंग रूप है और दूसरे माउंट आबू के अचलेश्वर महादेव है जो की दुनिया का ऐसा मंदिर है जहां पर शिवजी के पैर के अंगूठे का पूजन बड़े ही विधि-विधान से किया जाता है ।
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यह प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में अर्धकाशी के नाम से प्रसिद्ध है, यहां भगवान शिव के बहुत से प्राचीन मंदिर है। स्कंद पुराण में वर्णित है कि वाराणसी शिव की नगरी है तो माउंट आबू भगवान शंकर की उपनगरी है, अचलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू से लगभग 11 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर अचलगढ़ के किले के पास स्थित है ।
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इस मंदिर में प्रवेश करते ही पंच धातु की बनी नंदी की एक विशाल प्रतिमा दिखाई देगी,जिसका वजन लगभग चार टन है, इस मंदिर के अंदर गर्भगृह में शिवलिंग पाताल खंड के रूप में दृष्टिगोचर होता है, जिसके ऊपर एक तरफ पैर के अंगूठे का निशान उभरा हुआ है, जिन्हें स्वयंभू शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। यह देवाधिदेव शिव का दाहिना अंगूठा है. मान्यता है की इसी अंगूठे से भगवान शिव ने पूरे माउंट आबू के पहाड़ को थाम लिया है। इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान शिव के अंगूठे की पूजा बड़े ही उत्साह और विधि विधान के साथ की जाती है।