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अगर करते हैं 11 फरवरी को यह काम तो जन्म-जन्मांतर के पापों का होगा नाश

suman
Published on: 10 Feb 2018 2:57 PM GMT
अगर करते हैं 11 फरवरी को यह काम तो जन्म-जन्मांतर के पापों का होगा नाश
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जयपुर: विजया एकादशी व्रत 11 फरवरी 2018 (रविवार) को है। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने लिए किया जाता है। विजया एकादशी पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की एकादशी को पड़ती है। इस बार मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से ना केवल सभी कार्यों में सफलता मिलती है, बल्कि जन्म-जन्मांतर के पापों का भी नाश होता है। इसके अलावे विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, विजया एकादशी का व्रत रखने से जीवन के सभी कार्यों में जीत हासिल होती है।

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पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्री राम को वनवास के दौरान रावण से युद्ध करने के लिए जाना जाता था, तब उन्होंने भी अपनी पूरी सेना के साथ इस व्रत को रखा था। परिणामस्वरूप लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस एकादशी को विजया एकादशी के रूप में जाना जाता है।विजय एकदशी का जैसा नाम है ठीक उसी प्रकार इस व्रत को रखने वाला सदैव सभी कार्यों में विजय प्राप्त करता है। प्राचीन काल में भी राजा-महाराजा लोग इस विजया एकादशी के व्रत के प्रभाव से युद्ध में हार को भी जीत में बदल लेते थे। विजय एकादशी के महत्व का वर्णन पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से शत्रुओं से घिरा व्यक्ति विकट परिस्थितियों में भी विजय सुनिश्चित कर लेता है।

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महत्व

विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। फिर उनकी धूप, दीप, पुष्प, चंदन, फूल, तुलसी आदि से आराधना करनी चाहिए। भगवान की विष्णु की आराधना पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ करनी चाहिए, ताकि सभी प्रकार के दोषों का नाश हो और समस्त मनोकामना पूरी हो। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है इसलिए उनकी पूजा में तुलसी का पत्ता अवश्य शामिल करें। भगवान की व्रत कथा का श्रवण और रात्रि में हरिभजन करते हुए उनसे दुखों का नाश करने की प्रार्थना करें। रात्रि जागरण का पुण्य फल जरूर मिलता है। व्रत धारण करने से एक दिन पहले ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए व्रती को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रत धारण करने से व्यक्ति कठिन कार्यों एवं हालातों में विजय प्राप्त करता है। विजया एकदशी के महात्म्य को केवल सुनने मात्र से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है। इसके अलावे विजया एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य का आत्मबल भी बढ़ता है। विजया एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में शुभ कर्मों में वृद्धि, कष्टों का नाश और सभी मनोकामनाओं की पूर्ती हो जाती है। इतना ही नहीं विजया एकादशी व्रत जो कोई भी सच्चे मन से रखता है उस पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है

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