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यहां आने से मिलता है श्राप, नहीं होती यहांं पूजा, सिर्फ करते हैं दर्शन, जानिए क्यों?
जयपुर: सावन के दिन चल रहे हैं और सभी भक्त मंदिरों में अपनी आस्था को प्रकट करने और भगवान शिव के दर्शन करने के लिए जाते हैं ताकि भगवान शिव उनको आशीर्वाद दें और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ती करें। पूरे देश भर में शिव के कई मंदिर हैं जो अपनी आस्था के लिए जाने जाते हैं। लेकिन ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद नहीं, बल्कि श्राप मिलता हैं।
सदियों से इस मंदिर में किसी ने पूजा ही नहीं की है। इसलिए भगवान शिव के इस मंदिर में भक्त सिर्फ दर्शन करने आते हैं, पूजा कोई नहीं करता है। यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ क्षेत्र में हैं। मंदिर बल्तिर गांव में बना है। पिथौरागढ़ से गांव की दूरी महज 6 किमी है। शिव का यह मंदिर स्थापत्य कला के कारण भी प्रसिद्ध है। मंदिर हथिया देवाल के नाम से भी मशहूर है। बहुत पुरानी बात है यहां कभी राजा कत्यूरी का शासन था। राजा स्थापत्य कला को बेहद महत्व देता था। राजा ने क्षेत्र में मंदिर बनवाया। इस मंदिर को एक कुशल कारीगर ने एक हाथ से बनाया था। क्योंकि उसका एक हाथ किसी दुर्घटना के कारण नहीं था। जब वह मूर्तियां बनाने की कोशिश कर रहा था, तो लोग उसे देख हंसी उड़ा रहे थे। तब उसने प्रण लिया कि वह एक हाथ से ही पूरा मंदिर बनाएगा।
इस तरह उस एक हाथ के कारीगर ने एक चट्टान को रात भर में काटकर मंदिर बनाया। उस मंदिर में एक शिवलिंग को भी बनाया गया। हालांकि शिवलिंग को रातों-रात बनाया गया। उसमें प्राण प्रतिष्ठित नहीं किए गए। इसलिए इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है। धीरे-धीरे यह परंपरा का रूप बन गई। और लोगों के बीच यह मान्यता का जन्म हुआ कि यदि कोई व्यक्ति इस शिव मंदिर में पूजा करेगा तो उसे भगवान शिव श्राप देंगे।