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इस दिन जलाते हैं यम का दीया, इसके पीछे है पाप मुक्ति का यह विधान

suman
Published on: 15 Oct 2017 7:19 AM IST
इस दिन जलाते हैं यम का दीया, इसके पीछे है पाप मुक्ति का यह विधान
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जयपुर: दीवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है इसमें मुख्य रूप से यम की पूजा का विधान है। यम दीवाली के दिन मिट्टी का दीया लेते हैं। फिर उस दिए में सरसों का तेल डालकर घर के बाहर किसी उंचे स्थान पर रखते हैं। यहां यह ध्यान दिया जाता है कि दीया की लौ दक्षिण दिशा में हो। दक्षिण दिशा में दिया इसलिए जलाया जाता है क्योंकि इस दिशा के स्वामी यमराज हैं।

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मान्यता

इस दिन यमराज को दिया दिखाने के पीछे पौराणिक कथा है। रंती देव नाम के एक बहुत धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था। लेकिन जब मौत का समय पास आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए देखा।

यमदूत को सामने देखकर राजा बोले मैंने तो कभी कोई पाप या अधर्म का काम नहीं किया फिर आप मुझे ले जाने क्यों आए हैं। राजा की बातों को सुनकर यमदूत ने कहा कि राजन एक बार आपके दरवाजे से एक ब्राह्मण भूखा वापस चला गया था। उस पाप के कारण ही आपको यह फल मिला है।

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फिर राजा ने कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे एक साल का समय दें। राजा की बातों को सुनकर यमदूत उन्हें यह समय देकर वापस यमलोक चले गए। उसके बाद राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उनसे अपने पाप की मुक्ति का उपाय पूछा। फिर ऋषि बोले आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखें और शाम के समय घर के बाहर दक्षिण दिशा में यमराज को दिया दिखाएं। फिर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनसे अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया था। इस तरह राजा पाप मुक्त हो गए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान मिला। इसलिए उस दिन से ही यमराज को दीए जलाने की प्रथा चली आ रही है। इसे आज भी लोग मनाते आ रहे हैं।

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