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एक नजर: कैंट-सरोजनीनगर सीट बनी हाई प्रोफाइल, सपा-बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर

aman
By aman
Published on: 3 Feb 2017 3:03 PM IST
एक नजर: कैंट-सरोजनीनगर सीट बनी हाई प्रोफाइल, सपा-बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर
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Vinod Kapoor

लखनऊ: राजधानी की सरोजनीनगर और कैंट विधानसभा सीट पर सभी की नजरें टिक गई हैं। 19 फरवरी को होने वाले मतदान में इन दोनों सीट पर सत्तारूढ समाजवादी पार्टी (सपा) और सत्ता पाने की पूरी कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।

कैंट सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव पहली बार मैदान में उतरी हैं। उनका मुकाबला बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी से है। वहीं सरोजनीनगर सीट से मुलायम परिवार के अनुराग यादव प्रत्याशी हैं जिनका मुकाबला प्रदेश बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष स्वाति सिंह से है। अखिलेश सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ल राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से मैदान में उतरकर इस समर को रोचक बना रहे हैं।

कैंट विधानसभा सीट: एक नजर

कैंट विधानसभा सीट से साल 2012 के चुनाव में कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी के सुरेश तिवारी को पटकनी दी थी। उस वक्त वो पार्टी की अध्यक्ष भी थीं। बीजेपी के सुरेश तिवारी इस सीट से लगातार 2007, 2002 और 1997 के चुनाव जीतते रहे थे। लेकिन रीता बहुगुणा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने तिवारी को चौंका दिया।

मुश्किल दौर से गुजरी हैं रीता

लगभग 25 साल कांग्रेस में गुजार चुकीं रीता बहुगुणा ने 2007 से 2012 के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शासनकाल में बहुत दुख झेले। बसपा प्रमुख मायावती पर टिप्पणी के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।बसपाईयों ने उनके घर में आग तक लगा दी थी लेकिन वो न तो झुकीं और न हारीं। मुकदमा भी झेला और जीत दर्ज की।

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कैंट सीट से सपा का दांव अपर्णा पर

कैंट विधानसभा सीट से ही सपा की अपर्णा यादव भी मैदान में हैं। अपर्णा यूपी की महिला प्रत्याशियों में सबसे धनी हैं। उनके पास 1 करोड़ से ज्यादा की ज्वैलरी है। दिलचस्प है कि वो सार्वजनिक मंचों से पीएम नरेंद्र मोदी की कई बार तारीफ भी कर चुकी हैं। हालांकि उनके नाम का ऐलान पिछले साल ही कर दिया गया था लेकिन देश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे में सत्ता पर संघर्ष की लड़ाई में उनके टिकट पर ग्रहण लगता दिखा था। सपा के संरक्षक मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद उन्हें टिकट दिया गया।

रीता-अपर्णा की नजर 'अपनों' पर

टिकट के लिए नाम घोषित होते ही अपर्णा ने इलाके में काम और जनसंपर्क शुरू कर दिया था। इस इलाके में उत्तराखंड के लोगों के रहने वालों की संख्या ज्यादा है। इन्हें मैदान के इलाके में 'पहाडी' भी कहा जाता है। रीता बहुगुणा की जीत में पहाड़ियों के वोट का भी बड़ा हाथ था। फिर हुए अपमान और जुल्म की सहानुभूति भी उनके साथ थी। दिलचस्प हैं कि अपर्णा और रीता दोनों का ताल्लुक पहाड़ से है। रीता बहुगुणा अपने समय के धाकड़ राजनीतिज्ञ हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री हैं तो अपर्णा के पिता अरविंद सिंह बिष्ट पत्रकार रहे हैं। ये देखना मजेदार होगा कि पहाड़ के लोग दोनों में से किसे गले लगाते हैं।

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सरोजनीनगर सीट: एक नजर

वहीं दूसरी तरफ, सरोजनीनगर सीट लखनऊ के मोहनलालगंज संसदीय सीट का हिस्सा है। इस सीट से सपा सरकार में मंत्री रहे शारदा प्रताप शुक्ल पिछले चुनाव में जीते थे। शुक्ल ने बसपा के शिवशंकर सिंह को हराया था। इस जीत का उन्हें ईनाम भी मिला और वो मंत्री बना दिए गए। क्योंकि सपा 2007 और 2002 के चुनाव में यह सीट जीतने में सफल नहीं रही थी

सपा ने अनुराग को उतारा मैदान में

विधानसभा के 2007 के चुनाव में बसपा के इरशाद खान ने सपा के श्याम किशोर यादव को पांच हजार से ज्यादा वोट से हरा दिया था। विधानसभा के 2002 के चुनाव में भी बसपा के इरशाद ही जीते थे। सपा के प्रत्याशी श्याम किशोर यादव ही थे जो ढाई हजार वोट से हार गए थे। सपा ने शारदा प्रताप को प्रत्याशी नहीं बनाया तो वो रालोद का टिकट ले आए और मुकाबले को रोचक बना दिया। सपा ने मुलायम परिवार के अनुराग यादव को मैदान में उतारा है।

स्वाति रातोंरात बनीं थी स्टार

बीजेपी की स्वाति सिंह अपने पति दयाशंकर सिंह के मायावती को अपशब्द कहने को लेकर चर्चा में आई थीं। लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर स्वाति पिछले साल घरेलू महिला थी लेकिन पति की गिरफ्तारी और उनके परिवार पर बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की अभद्र टिप्पणी के खिलाफ वो मैदान में उतरीं। अपने खिलाफ दयाशंकर की टिप्पणी पर मायावती ने संसद के अंदर और बाहर जोरदार हंगामा किया। नतीजा ये हुआ कि बीजेपी बैकफुट पर आ गई और दयाशंकर को उपाध्यक्ष पद से ही नहीं बल्कि पार्टी से ही निकाल दिया। बसपा नेता और कार्यकर्ताओं ने राजधानी के हजरतगंज चौराहे को जाम किया और स्वाति के परिवार के खिलाफ अश्लील टिप्पणी की। दयाशंकर की टिप्पणी में अगर अभद्रता थी तो बसपा नेताओं की टिप्पणी में अश्लीलता।

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राजपूतों ने स्वाति के स्वाभिमान को अस्मिता से जोड़ा

अपने परिवार की इज्जत की खातिर स्वाति को मैदान में उतरना पड़ा और उन्होंने बसपा के कुछ नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी। यूपी के राजपूतों ने स्वाति के स्वाभिमान को अपनी अस्मिता से जोड़ा और समुदाय उनके पक्ष में खड़ा हो गया। तेजतर्रार स्वाति बीजेपी को भा गईं और उन्हें यूपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष बना दिया गया। पद मिलने के बाद वो अपने काम में लग गईं और पूरे राज्य में पार्टी के पक्ष में महिलाओं को गोलबंद करना शुरू कर दिया। हालांकि उनके बलिया की किसी सीट से चुनाव लडने की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने उन्हें राजधानी की सरोजनीनगर सीट के लिए चुना।

देखना है कौन मनाएगा होली

सपा परिवार के दो सदस्यों के कारण दोनो सीटें हाई प्रोफाइल हो गई हैं। दोनों सीटों पर बीजेपी और सपा पूरा जोर लगा रही है। अब देखना है कि रंगों का त्योहार होली कौन मनाएगा, ये 11 मार्च को पता चलेगा।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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