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वोटरों ने भले छोड़ दिया, लेकिन किस्मत ने नहीं छोड़ा सपा का साथ, अपर्णा की हार ने दिलाई डिंपल की याद
लखनऊ: कहा जाता है कि किस्मत आपका पीछा नहीं छोडती और कभी कभी तो ये परंपरा भी बन जाती है। ये बात देश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे यानि मुलायम सिंह यादव के परिवार पर भी लागू होता है। मुलायम परिवार की दोनों बहुएं अपने पहले चुनाव में हारीं।
लोकसभा के 2009 के चुनाव में अखिलेश यादव फिरोजाबाद और कन्नौज सीट से लड़े थे और दोनों ही सीट पर उन्हें जीत मिली थी। उन्हें एक सीट छोड़नी थी, इसलिए उन्होंने फिरोजाबाद की सीट छोड़ी। उन्हें फिरोजाबाद की चूड़ी नहीं पसंद आई, बल्कि कन्नौज का ईत्र पसंद आया।
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पहले चुनाव में डिंपल भी हारीं थी
फिरोजाबाद सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा। कांग्रेस के प्रत्याशी राजबब्बर उनके प्रतिद्वंद्वी थे। राजबब्बर ने डिंपल को करीब 80 हजार वोटों से हराया। पत्नी की हार से अखिलेश सख्त नाराज हुए और कहा कि 'बीजेपी ने सपा प्रत्याशी को हराने के लिए अपने वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करा दिए। याद रहे, ये डिंपल का पहला चुनाव था।
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वोटरों ने नहीं रखी मुलायम की लाज
इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव राजधानी की कैंट सीट से प्रत्याशी थींं। उनका नाम बहुत पहले ही घोषित कर दिया गया था। कैंट एरिया में उत्तराखंड के मूल निवासियों की संख्या अच्छी खासी है। कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रही रीता बहुगुणा जोशी विधानसभा का पिछला चुनाव इसी सीट से जीती थीं। उन्होंने बीजेपी के सुरेश तिवारी को हराया था। कांग्रेस से त्यागपत्र देने के बाद वो पिछले साल बीजेपी में शामिल हुईं। पार्टी ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
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इस क्षेत्र में उत्तराखंड के लोगों की है बहुलता
उत्तराखंड के लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण ये माना जा रहा था कि रीता बहुगुणा के लिए जीतना इस बार आसान नहीं होगा। सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल सिंह के जसवंतनगर के अलावा इसी सीट से प्रचार किया था। मुलायम ने कहा था कि 'ये सीट उनकी इज्जत का सवाल है। आपलोग मेरी लाज रख लेना लेकिन मतदाताओं ने मुलायम की अपील को नकार दिया।'
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अपर्णा के लिए डिंपल ने भी किया था प्रचार
अपर्णा यादव के लिए डिंपल यादव ने भी प्रचार किया था। चुनाव प्रचार के दौरान डिंपल ने कहा, था 'जिन लोगों ने नोटबंदी की है उनकी वोटबंदी कर देना।' भले ही उनका इशारा बीजेपी की और रहा हो, लेकिन मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी की ही वोटबंदी कर दी।