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बाहरी लोगों को मिले 7 सीटों में 4 टिकट, बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है खामियाजा
सहारनपुर की 7 सीटों में 4 सीटों पर ऐसे लोगों को प्रत्याशी बनाया गया है, जो बसपा और कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। जबकि 2 सीटों पर उन लोगों को प्रत्याशी बना दिया गया है, जिन्हें स्थानीय कार्यकर्ता नहीं पसंद करते।
सहारनपुर: बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा के लिए शुभ मुहूर्त आने का जो लंबा इंतजार किया, अब उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। पूरी तरह ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास करने वाली बीजेपी ने उम्मीदवारों को खरमास समाप्त होने का इंतजार कराया। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास यानि मलमास की अवधि थी, जो हिंदू शास्त्रों में शुभ नहीं मानी जाती। लेकिन टिकटों की घोषणा होते ही यह स्पष्ट हो गया है कि टिकट दूसरे दल छोड़ कर आए नेताओं को बांटे जा रहे हैं। इससे अब बीजेपी में बगावत के सुर मुखर होने लगे हैं।
बसपा से निष्कासित, भाजपा के प्रत्याशी
-सहारनपुर की 7 सीटों में 4 सीटों पर ऐसे लोगों को प्रत्याशी बनाया गया है, जो बसपा और कांग्रेस से भाजपा में आए हैं।
-जबकि 2 सीटों पर उन लोगों को प्रत्याशी बना दिया गया है, जिन्हें स्थानीय कार्यकर्ता नहीं पसंद करते।
-बात करते हैं प्रदेश में पहले नंबर की विधानसभा सीट बेहट से। यहां से भाजपा ने विधायक महावीर सिंह राणा को प्रत्याशी बनाया है।
-महावीर सिंह राणा को करीब डेढ़ साल पहले बसपा से निलंबित कर दिया गया था।
-महावीर सिंह के बडे भाई और पूर्व सांसद जगदीश सिंह राणा को भी बसपा से निकाल दिया गया था।
-इन दोनों भाइयों ने छह माह पूर्व ही भाजपा का दामन थामा था।
-महावीर सिंह राणा के खिलाफ कोई अपराधिक मुकदमा तो दर्ज नहीं है, लेकिन दो दर्जन से अधिक पेट्रोल पंपों के मालिक हैं।
-हरियाणा के गुड़गांव में एक ट्रैक्टर एजेंसी भी है।
-2012 के विस चुनाव में महावीर सिंह राणा बसपा के टिकट पर चुनाव लडे थे और जीत दर्ज की थी।
-इनके भाई जगदीश राणा के सैफई महोत्सव में जाने और सपा नेता शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात करने पर दोनों को बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
बसपा ने निकाला, भाजपा ने थामा
-प्रदेश के दूसरे नंबर की सीट है नकुड़। इस सीट से भाजपा ने लोक लेखा समिति उत्तर प्रदेश के चेयरमैन रहे और वर्तमान विधायक डा. धर्म सिंह सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
-करीब छह माह पहले सैनी के छोटे भाई की पत्नी के निधन पर बसपा से निष्कासित स्वामी प्रसाद मौर्य उनके गांव सोना सैयद माजरा पहुंचे थे।
-तभी से डा. धर्म सिंह सैनी मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी की आंखों में खटक रहे थे।
-सितंबर में सहारनपुर में हुई मायावती की रैली के दो दिन बाद डा. सैनी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा कर उनका टिकट काट दिया गया था।
-टिकट कटने के बाद डा. धर्म सिंह सैनी भाजपा में शामिल हो गए।
-कभी निष्ठावान कार्यकर्ता रहे सैनी को बसपा सुप्रीमो ने लोक लेखा समिति का चेयरमैन बनाया था।
कायम है विधायक पर भरोसा
-तीसरे नंबर की सीट सहारनपुर शहर से वर्तमान विधायक राजीव गुंबर को प्रत्याशी बनाया गया है।
-राजीव गुंबर भाजपा के पुराने सिपाही हैं और 2014 में सहारनपुर शहर सीट से उप चुनाव लड चुके हैं।
-इनसे पहले इस सीट से भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा द्वारा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।
-राजीव गुंबर प्लाइवुड के कारोबारी हैं और कई स्कूलों में उनकी बसों का संचालन होता है।
-भाजपा के पुराने कार्यकर्ता होने के नाते उन्हें 2014 में उप चुनाव प्रत्याशी बनाया गया था।
बसपा से आए, टिकट मिला
-चौथे नंबर की सीट सहारनपुर देहात पर भाजपा ने 2 साल पहले बसपा छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायक मनोज चौधरी पर दांव खेला है।
-मनोज चौधरी देवबंद विस क्षेत्र से बसपा के टिकट पर 2007 में चुनाव जीते थे।
-2012 में सपा के राजेंद्र राणा ने मनोज चौधरी को पराजित किया था।
-मनोज चौधरी गुर्जर समाज से ताल्लुक रखते हैँ। उनकी छवि अव्यवहारिक मानी जाती है।
-बसपा में वह पार्टी कार्यक्रमों में ही शिरकत करते थे। यही शैली उनकी भाजपा के प्रति भी रही है।
-मनोज चौधरी की पत्नी गायत्री चौधरी सहारनपुर में जिला पंचायत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
-इनके पिता रामपुर मनिहारान नगर पंचायत के चेयरमैन रह चुके हैं।
कार्यकर्ताओं में अनजाना नाम
-पांचवीं विधानसभा सीट देवबंद की है। यहां भाजपा ने एक अनजान व्यक्ति कुंवर बृजेश पर दांव लगाया है।
-वह मूल रुप से उत्तराखंड के रहने वाले बताए जाते हैं, लेकिन काफी समय पहले परिवार समेत सहारनपुर में आकर बस गए थे।
-गैस एजेंसी के मालिक होने के साथ साथ अन्य कई कारोबार भी हैं।
-परिवार समेत भाजपा से जुडे हुए हैं और निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन लोगों के बीच सक्रिय नहीं हैं।
-लेकिन इनके प्रत्याशी बनाए जाने का देवबंद विधानसभा क्षेत्र में विरोध हो रहा है।
जातिगत विरोध
-छठें नंबर की सीट रामपुर मनिहारान सुरक्षित सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक स्व. रामस्वरुप निम के पुत्र देवेंद्र निम को अपना प्रत्याशी बनाया है।
-देवेंद्र गैस एजेंसी का संचालन करने के साथ ही सरकारी अस्पताल के ठेकेदार भी हैं।
-इनकी छवि पार्टी कार्यकर्ताओं में कोई खास नहीं है।
-जाटव समाज से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र निम का इस सीट पर इसलिए विरोध हो रहा है, क्योंकि इस सीट पर जाटव परिवार नहीं हैं।
-इस सीट पर सर्वाधिक चर्मकार मतदाता हैं।
कांग्रेस से भाजपा में, मिला टिकट
-प्रदेश की सातवीं और अंतिम विधानसभा सीट पर भाजपा ने विधायक प्रदीप चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
-प्रदीप चौधरी भी चार माह पूर्व कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
-कांग्रेस में यहां पर पूर्व विधायक इमरान मसूद का दबदबा होने के कारण प्रदीप ने कांग्रेस को अलविदा कहा था।
-इनके पिता स्व. मास्टर कंवरपाल सिंह पूर्व विधायक रह चुके हैं।
-कंवरपाल और प्रदीप चौधरी की छवि ईमानदार नेताओं में होती है। कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है।
जिले में घोषित किए गए सभी भाजपा प्रत्याशियों में चार ऐसे प्रत्याशी हैं, जो बसपा और कांग्रेस से आए हैं। महावीर सिंह, धर्म सिंह सैनी, मनोज चौधरी और प्रदीप चौधरी। इन प्रत्याशियों का खुलकर विरोध हो रहा है। ऐसे में बगावत के सुर उठ रहे हैं। बागी तेवरों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेहट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे आदित्य प्रताप राणा का टिकट काटकर महावीर सिंह राणा को प्रत्याशी बनाए जाने पर आदित्य प्रताप ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का खुला ऐलान भी कर दिया है।
आगे स्लाइड्स में जानिए कौन हैं भाजपा के प्रत्याशी...
राजीव गुंबर
देवेंद्र निम
धर्म सिंह सैनी
महावीर राणा
मनोज चौधरी
प्रदीप चौधरी
बृजेश सिंह