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राष्ट्रपति के संबोधन के बहाने केंद्र पर हमला, मायावती ने कहा-आम जनता को हुई निराशा
मायावती ने कहा है कि राष्ट्रपति का सम्बोधन केन्द्र सरकार की नीति व कार्यक्रमों का दस्तावेज होता है, जिससे देशवासियों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं, लेकिन राष्ट्रपति के सम्बोधन में भी केन्द्र सरकार की वही पुरानी घिसी-पिटी बातें ही सुनने को मिली, जिससे जनता में निराशा है।
लखनऊ: यूपी में चुनावी बयार बहने के साथ ही बसपा मुखिया मायावती विरोधी पार्टियों पर हमलावर हैं। भाजपा और सपा पर दंगे कराने का आरोप लगा चुकी पार्टी सुप्रीमो केंद्र और प्रदेश सरकार के तरकश से निकले हर तीर का जवाब दे रही हैं। अब उन्होंने संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्बोधन को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है और इसे नीरसता का प्रतीक करार दिया है। साथ ही कहा कि केंद्र सरकार गरीबों, मज़दूरों, बेरोजगारों व मध्यम-वर्गीय लोगों के जीवन में नई उम्मीदें पैदा करने में लगातार विफल साबित हुई है।
घिसी-पिटी बातें
मायावती ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा है कि दरअसल, राष्ट्रपति का सम्बोधन केन्द्र सरकार की नीति व कार्यक्रमों का दस्तावेज होता है, जिससे देशवासियों की काफी उम्मीदें जुड़ी होती हैं, पर आज के सम्बोधन में भी केन्द्र सरकार की वही पुरानी घिसी-पिटी बातें ही ज़्यादातर सुनने को मिली हैं, जिनसे वास्तव में अबतक देश की जनता का कुछ भी ख़ास भला नहीं होकर केवल बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों का ही भला होता चला आया है।
निराशा
ऐसे सम्बोधनों में भी सरकार अपनी योजनाओं का नाम गिनवाने का प्रयास करती है। ज़मीनी स्तर पर उन योजनाओं का सही लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
यही कारण है कि देश भर में आम जनता में हताशा व निराशा है।
मोदी सरकार ने जिस प्रकार से नोटबंदी के फायदे लोगों को गिनवाये थे, वे कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं।
आज के सम्बोधन में भी पुराना राग लोगों को सुनने को मिला। सरकार का यह प्रयास भी अच्छे दिन के बहलावे की तरह एक बहकावा है।
लोगों का ध्यान बांटने के लिए सरकार पैंतरेबाजी करती रहती है।
बजट का समय लगभग एक माह आगे बढ़ाने की नई परम्परा की भी शुरूआत की गई
व्यापक जनहित में इसका असली क्या फायदा होगा, इस बारे में मोदी सरकार देश की जनता को अपने पिछले कई फैसलों की तरह सही से आश्वस्त नहीं कर पा रही है।