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कांग्रेस की किसान यात्रा का नाम बदला पर मुद्दे वही, 75 जिलों में होगी राहुल संदेश यात्रा
कांग्रेस की देवरिया से दिल्ली तक बहुप्रचारित 26 दिनों की किसान यात्रा का नाम बदलकर अब राहुल संदेश यात्रा कर दिया गया है। इस यात्रा में भी जनता के बीच वही मुददे उठाए जाएंगे, जिसको लेकर किसान यात्रा के दौरान पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। पार्टी के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कांग्रेस मुख्यालय से शुक्रवार को पार्टी का झंडा दिखाकर राहुल संदेश यात्रा को रवाना किया।
राज्य कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते गुलाम नबी आजाद, राजबब्बर और प्रमोद तिवारी
लखनऊ: कांग्रेस की देवरिया से दिल्ली तक बहुप्रचारित 26 दिनों की किसान यात्रा का नाम बदलकर अब राहुल संदेश यात्रा कर दिया गया है। इस यात्रा में भी जनता के बीच वही मुददे उठाए जाएंगे, जिसको लेकर किसान यात्रा के दौरान पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। पार्टी के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कांग्रेस मुख्यालय से शुक्रवार को पार्टी का झंडा दिखाकर राहुल संदेश यात्रा को रवाना किया।
इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए यात्रा के प्रबंधन को लेकर अपनी योजना पदाधिकारियों के सामने रखी। बैठक में मौजूद प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों से उन्होंने साफ तौर पर कहा कि शहरों और जिला मुख्यालयों के साथ न्याय पंचायत तक अपनी पहुंच बनानी होगी। वहीं पर कर्जे में डूबे किसानों का दर्द सामने आएगा।
राहुल संदेश यात्रा
-यात्रा के तहत 13 से 17 सीटर गाड़ियां 75 जिलों में चलेंगी।
-13 अक्टूबर की सुबह सभी गाड़ियां जिला मुख्यालय पर पहुचेंगी।
-इस यात्रा पर नजर रखने के लिए 75 आब्जर्वर होंगे।
-यह हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार , हैदराबाद, दिल्ली से होंगे।
-इनमें पार्टी के पूर्व एमपी, सीनियर लीडर और पदाधिकारी होंगे।
-इसके अलावा जिला अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष भी इस यात्रा पर नजर रखेंगे।
-हर जोनल इंचार्ज 7 दिन तक एक जिले और अगले 7 दिन तक दूसरे जिले में रहेंगे।
-राज्य के सीनियर लीडर में से कोई न कोई यात्रा के दौरान मौजूद रहेगा।
-राजबब्बर भी समय-समय पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे।
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शहरों के वार्डों में यात्राएं
-शहरों के वार्डों में भी यात्राएं जाएंगी।
-यह यात्रा छोटे जिलों में 6 से 7 दिन में खत्म होगी।
-जबकि बड़े जिलों में 10 से 12 दिन तक का समय लग सकता है।
-शहरी क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दे भी उठाए जाएंगे।
-अभी आब्जर्वर का नाम तय नहीं हुआ है।
कांग्रेस जरूरतमंदों की राजनीति करेगी ना कि उंचे मंचों की
यूपी में कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस जरूरतमंदों की राजनीति करेगी ना कि उंचे मंचों की।
लोकतंत्र में रणनीतियों पर नहीं बल्कि लोक नीतियों पर राजनीति होती है।
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राहुल जो कहते हैं, उसके पीछे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का साहस
राहुल गांधी के खून की दलाली पर अमित शाह ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर उन पर जोरदार हमला किया है। इस पर राजबब्बर ने कहा कि जो बुनियादी तौर पर तड़ीपार हैं। यह समझने की जरूरत है। राहुल जो कहते हैं, उसके पीछे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का साहस है।
दलाली है रूपक अलंकार
दलाली शब्द के प्रयोग पर दार्शनिक अंदाज में राजबब्बर ने कहा कि दलाली एक रूपक अलंकार है। जिसको लेकर इल्जाम लगाया जाता है। कारगिल युद्ध में उसी बोफोर्स तोप से निकली गोली और गोलों पर बीजेपी विजय दिवस मनाती है।
सर्जिकल स्ट्राइक पर क्या बोले राजबब्बर
सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर किए गए एक सवाल पर राजबब्बर ने कहा कि सेना के जवानों ने शहादत दी है लेकिन जहां तक नेताओं का सवाल है जो लखनऊ में आकर गदा उठाकर बीजेपी की उपलब्धियां बताते हैं। उस रक्षामंत्री को यह बात समझना चाहिए कि यह बखान उस पार्टी का नहीं है। शहादत सैनिकों ने दी है।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सिर्फ जुमला है
राज बब्बर ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि हम पर जो इल्जाम लगे वह साबित नहीं हुए हैं लेकिन मोदी सरकार ने जो 15 लाख रूपए जनता के अकाउंट में पहुंचाने, महंगाई कम करने और दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था उसका क्या हुआ। यह जुमले कहां गए और अब भ्रष्टाचार के खिलाफ यूपी में जो होर्डिंगे लग रही हैं वह भी सिर्फ जुमला है।
रामलीला में रोल करने से नवाजुददीन को रोका गया
-एक सवाल के जवाब में राज बब्बर ने कहा कि मुजफ्फरनगर में बालीबुड एक्टर नवाजुददीन को रोल करने से रोक दिया गया।
-मेकअप करके बैठे रहें पर कहा गया कि रामलीला में पात्र नहीं करने देंगे।
-बख्शी का तालाब में एक जगह रामलीला होती है, जहां सारे पात्र मुस्लिम होते हैं।
-फैजाबाद में 105 साल पुरानी रामलीला होती है, यहां भी सारे पात्र मुस्लिम हैं।
-सुल्तानपुर की रामलीला में ज्यादातर पात्र मुस्लिम होते हैं।
-मध्यप्रदेश, बिहार में मुस्लिम रामलीला का हिस्सा नहीं हो सकता, कभी नहीं सुना।
-अगर ऐसा ही रहा तो मो. रफी, शकील बदायूं, नौशाद, जावेद अख्तर के लिखे और गाए भजन सुनने को नहीं मिलेंगे।
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