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एक्जिट पोल के प्रकाशन पर आयोग सख्त, समाचार पत्र और आरडीआई संस्था पर एफआईआर
आयोग के निर्देश पर प्रथम चरण के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को मैनेजिंग डायरेक्टर/आरडीआई के अधिकारियों/मैनेजिंग एडीटर/एडिटर इन चीफ /एडिटर/ चीफ एडिटर आफ द न्यूज पेपर के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने को कहा गया है
लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग की रोक के बावजूद एक्जिट पोल के नतीजे प्रकाशित करने पर आयोग ने सख्त रूख अख्तियार किया है और अधिसूचना के उल्लंघन के आरोप में दैनिक जागरण समाचार पत्र (http;//English.jagran.com/uttar-pradesh-bjp-expects-repeat-of-2014-in-uttar-pradesh-can-form-government-188085) और रिसोर्स डेवलपमेंट इन्टरनेशलन (आरडीआई) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। प्रथम चरण में मतदान संपन्न होने वाले जिलों के सभी जिला निर्वाचन अधिकारी इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे।
एफआईआर के आदेश
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके पाण्डेय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आयोग के निर्देश पर प्रथम चरण के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को मैनेजिंग डायरेक्टर/आरडीआई के अधिकारियों/मैनेजिंग एडीटर/एडिटर इन चीफ /एडिटर/ चीफ एडिटर आफ द न्यूज पेपर के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने को कहा गया है। यह आईपीसी की धारा 188 के साथ पठित आरपी एक्ट 1951 की धारा 126ए और 126बी के तहत दर्ज कराई जाएगी।
भारत निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिन्ट मीडिया और अन्य किसी भी माध्यम से 4 फरवरी की सुबह सात बजे से आठ मार्च के सायं 5:30 बजे तक एक्जिट पोल के प्रकाशन पर रोक लगा रखी है। श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रतिबंध लगे होने के बावजूद आरडीआई के सर्वेक्षण एवं दैनिक जागरण की उपरोक्त अंग्रेजी वेबसाइट पर भाजपा प्रथम स्थान, बसपा व सपा-कांग्रेस गठबंधन दूसरे और तीसरे स्थान पर रहेंगी। इस तरह का एक्जिट पोल का सर्वेक्षण एवं प्रसारण करना आरपी एक्ट के तहत दण्डनीय अपराध है। जिसमें दो वर्ष की सजा या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।